जब योगी ने पूछा कि क्यों आती है गोमती के पानी से बदबू, मई तक बंद करो नाले
योगी आगे आगे और अधिकारी पीछे पीछे। योगी आदित्यनाथ ने घुसते ही वहां नाराजगी जता दी। जाते ही कहा कि गोमती के पानी में नाले क्यों मिल रहे है। पानी से बदबू आ रही है। आप लोगों को नहीं आ रही है?
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में निजाम बदलने के बाद से ही सरकार टॉप गियर पर काम कर रही है। योगी मीडिया में बयान तो नहीं दे रहे हैं पर हर दिन उनके काम ही मीडिया की सुर्खियां बन रहे हैं। सोमवार की सुबह अखिलेश यादव के करीब 1400 करोड़ के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंच गए। बाकायदा इसे आयोजन बनाकर योजना का परीक्षण किया और करीब 45 मिनट तक अधिकारियों की क्लास ली।
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मुख्यमंत्री ने जताई नाराजगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट पर गए तो अपनी फ्लीट में, पर अपनी फ्लीट छोड़कर पैदल ही निरीक्षण करने लगे। योगी आगे आगे और अधिकारी पीछे पीछे। योगी आदित्यनाथ ने घुसते ही वहां नाराजगी जता दी। जाते ही कहा कि गोमती के पानी में नाले क्यों मिल रहे है। पानी से बदबू आ रही है। आप लोगों को नहीं आ रही है? इसके बाद योगी ने पंडाल नुमा अपने ओपन हाउस मीटिंग रूम से क्लास लगानी शुरु की।
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योगी की क्लास, अधिकारी पसीने पसीने
योगी की क्लास जब शुरु हुई तो उनके साथ उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, नगर विकास और संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना, राज्यमंत्री उपेंद्र तिवारी, कैबिनेट मंत्री रीता जोशी, बृजेश पाठक, आशुतोष टंडन और खुद सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह थे। सिंचाई विभाग के अधिकारियों से एक एक कर मुख्यमंत्री ने पूछा कि मुझे यहां तक बदबू आ रही है आप लोगों को नहीं आ रही है? अधिकारी बगल होते गये और निशाने पर आ गये सिंचाई विभाग के इंजीनियर पीके सिंह। वे लगातार स्केच ड्राइंग से समझाने की कोशिश करते रहे कि नालों के पानी पर क्या व्यवस्था है। सारे मंत्रियों के सवाल और निशाने पर अकेले पीके सिंह। मुख्यमंत्री इस बात से भी खासे नाराज थे कि इस प्रोजेक्ट की लागत और समय क्यों बढ़ गयी।
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क्या क्या निर्देश दिए योगी ने
योगी ने साफ कर दिया कि मई तक सारे नाले बंद कर दिए जाएं।
गोमती में किसी नाले को सीधे ना खोला जाय बल्कि पानी का ट्रीटमेंट होकर ही गोमती में पानी आए।
गोमती की सफाई को नमामि गंगे प्रोजेक्ट से जोडा जाय।
गोमती में सिर्फ प्राकृतिक और शोधित जल ही आए।
गोमती रिवर फ्रंट की शुरुआत अब कुडिया घाट से नहीं उसके आगे कामकोठी से होगी।
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क्यों महत्वपूर्ण है यह दौरा
योगी आदित्यनाथ का रिवर फ्रंट को चुनना बहुत महत्वपूर्ण है। दरअसल इस रिवर फ्रंट को पिछली सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा था। इसे समाजवादी पार्टी साबरमती फ्रंट के जवाब की तरह भी पेश कर रही थी। ऐसे में इस प्रोजेक्ट की खामियां निकाल कर यह साबित हो गया कि यह प्रोजेक्ट महज समय और लागत की बर्बादी है। गोमती की सफाई को लेकर पिछली सरकार संजीदा नहीं थी और अब सरकार इसे नमामि गंगे से जोड़कर इसका आयाम बढ़ा रही है, यह संदेश भी नई सरकार को मुफीद है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी यूं ही रिवर फ्रंट पर नहीं पहुंच गये। योगी आखिर नेता भी तो हैं।
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