किसके 'प्यार' का मारा है यह आईएएस सिकंदर, लोग पूछ रहे हैं- तेरा क्या होगा कालिया?
डा हरिओम ने जिला गोरखपुर में रहते सूबे के वर्तमान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को दंगे के हालात के दौरान जेल की हवा खिला दी थी। आदित्यनाथ योगी तब भी गोरखपुर से भाजपा सांसद थे। रिहाई के बाद संसद में घटना का ज़िक्र करते हुए योगी भावुक हो गए थे।
लखनऊ: मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूं - सिकन्दर हूं मगर हारा हुआ हूं। इन लाइनों के रचयिता और अमेरिका मेरी जान, कपास के अगले मौसम, धूप का परचम सरीखी ग़ज़लें और कविताएं लिख कर प्रशासन और साहित्य, दोनों क्षेत्रों में लोहा मनवा चुके 1997 बैच के आईएएस अधिकारी डा हरिओम के लिए उन के साथियों द्वारा पूछा गया ये सवाल, "तेरा क्या होगा कालिया" यक्ष प्रश्न बन गया है।
ग़ज़ल की नज़ाकत में विलेन का डायलॉग
साहित्य में चाँद तारों की सैर करने, मोहब्बत के मिज़ाज को पकड़ लेने और फिर प्रकृति को साकार करने सरीखे कठिन बिम्ब रचने की दक्षता वाले डा हरिओम के लिए शोले फ़िल्म का ये संवाद "तेरा क्या होगा कालिया" इन दिनों भारी पड़ रहा है। गोरखपुर, इलाहाबाद, कानपुर, मुरादाबाद और सहारनपुर सरीखे सूबे के एक दर्जन ज़िलों के ज़िलाधिकारी रहे, डा हरिओम समाजवादी कैम्प के क़रीबी अफसरों में शुमार होते हैं। उन के साथी शोले फ़िल्म के "तेरा क्या होगा कालिया" संवाद का जवाब क्यों चाहते हैं, इस की वजह भी कम दिलचस्प नहीं है।
डा हरिओम ने ज़िला गोरखपुर में रहते सूबे के वर्तमान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को दंगे के हालात के दौरान जेल की हवा खिला दी थी। 26 जनवरी 2007 को हुए दंगे के बाद उन्होंने आदित्यनाथ योगी को धारा 107/16 के तहत गोरखपुर जेल भेज दिया था। आदित्यनाथ योगी तब भी गोरखपुर से भाजपा सांसद थे। रिहाई के बाद संसद पहुंचे आदित्यनाथ योगी अपनी गिरफ्तारी और जेल भेजे जाने की घटना का ज़िक्र करते हुए संसद में भावुक हो गए थे।
कभी थे दरबार के ख़ास
डा हरिओम को आदित्यनाथ योगी की गिरफ्तारी का दण्ड उसी समय भुगतना पड़ा था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने डा हरिओम को निलम्बित कर दिया था। हालांकि, वो एक सप्ताह बाद ही बहाल कर दिए गए थे।
आदित्यनाथ योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद शोले फ़िल्म का डायलॉग डा हरिओम के लिए मौज़ूं हो गया है। अपनी पहली तबादला सूची में राज्य सरकार ने डा हरिओम को सचिव संस्कृति और निदेशक संस्कृति के पद से हटा कर प्रतीक्षारत कर दिया है। संस्कृति मंत्रालय के कामकाज की फाइलों का पलटा जाना भी तेज़ हो गया है। ये हरिओम के कामकाज का तक़ाज़ा व समाजवादी सरकार की नज़दीकी का फल था, कि सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन की पत्नी को भी प्रतिष्ठित "रानी लक्ष्मी बाई वीरता पुरस्कार" से नवाज़ दिया था। अखिलेश यादव ने जिस तरह से यश भारती सम्मान बांटे उससे इस पुरस्कार और चयन दोनों पर खूब सवाल उठे।
तेरा क्या होगा कालिया
इस पूरे वाक़ये में ये भी कम दिलचस्प नहीं है, कि डा हरिओम के साथ उन दिनों गोरखपुर के पुलिस कप्तान रहे आईपीएस राजा श्रीवास्तव के लिए "तेरा क्या होगा कालिया" सरीखा संवाद कोई मायने नहीं रख रहा है। राजा श्रीवास्तव केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पुलिस महानिरीक्षक नागरिक उड्डयन मंत्रालय में तैनात हैं। इसे भी संयोग ही कह सकते हैं कि 2007 के बाद से डा हरिओम लगातार अच्छी तैनाती पाते रहे, जबकि राजा श्रीवास्तव 2010 से ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं।
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