Mahakumbh 2025: महाकुंभ में बिकी एक लाख हनुमान चालिसा, गीता प्रेस की धूम
Mahakumbh 2025: अब महाकुंभ समापन की ओर है। यहां के स्टॉल से 2 रुपये से लेकर 15 रुपये कीमत वाले हनुमान चालिसा की बंपर बिक्री हुई है। अभी तक एक लाख से अधिक हनुमान चालिसा की बिक्री हो चुकी है।;
Gorakhpur News: (Image From Social Media)
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में गोरखपुर के गीता प्रेस के स्टॉल पर श्रद्धालुओं की भीड़ दिख रही है। अब महाकुंभ समापन की ओर है। यहां के स्टॉल से 2 रुपये से लेकर 15 रुपये कीमत वाले हनुमान चालिसा की बंपर बिक्री हुई है। अभी तक एक लाख से अधिक हनुमान चालिसा की बिक्री हो चुकी है। गीता प्रेस अभी सवा करोड़ से अधिक कीमत की धार्मिक पुस्तकें बेच चुका है।
गीता प्रेस ने अपने स्टॉल से 2,51,246 धार्मिक पुस्तकों की बिक्री की है। इन पुस्तकों की कीमत 1.25 करोड़ रुपए से अधिक है। यह अब तक की सबसे बड़ी बिक्री है। इससे पहले, 2019 के अर्धकुंभ में 35 लाख रुपए की ही पुस्तकें बिकी थीं। महाकुंभ में सबसे अधिक 1,00,000 प्रतियां हनुमान चालीसा की बिकीं। इसके बाद 12,000 प्रतियां श्रीमद्भागवत गीता और 6,000 से अधिक प्रतियां श्रीरामचरितमानस की बिकीं। मूल्य के हिसाब से श्रीरामचरितमानस की बिक्री सबसे अधिक रही, जो लगभग 47 लाख रुपये तक पहुंच गई। महाकुंभ में गीता प्रेस ने मुख्य स्टॉल के अलावा 54 अलग-अलग दुकानदारों को भी पुस्तकें उपलब्ध कराई, जो वर्षों से गीता प्रेस की किताबें खरीदकर कुंभ मेलों में बेचते हैं। हालांकि, उनकी बिक्री का आंकड़ा गीता प्रेस के आधिकारिक रिकॉर्ड में नहीं आता। गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी ने बताया कि महाकुंभ में गीता प्रेस की ऐतिहासिक बिक्री हमारी धार्मिक पुस्तकों के प्रति श्रद्धालुओं की गहरी आस्था दर्शाती है। लेकिन गीताप्रेस परिसर में जगह और संसाधनों की कमी के कारण हम महाकुंभ में मांग के अनुरूप श्रीरामचरितमानस की पूर्ति नहीं कर पाए।
1600 रुपये तक की है रामचरित मानस
गीता प्रेस की श्रीमद्भागवत गीता एक रुपए से 400 रुपए तक और श्रीरामचरितमानस 70 से 1600 रुपए तक की कीमतों में उपलब्ध होता है। इनमें ग्रंथाकार, पुस्तकाकार, गुटकाकार सहित छोटे-बड़े विभिन्न आकार के संस्करण आर्ट पेपर पर चित्रमय प्रकाशित होते हैं, जिनकी विदेशों में भी बड़ी मांग है। गीता प्रेस 15 भाषाओं में श्रीरामचरितमानस प्रकाशित करता है, जिनमें हिंदी, नेपाली, गुजराती, तमिल, उड़िया आदि शामिल हैं। हनुमान चालीसा और रामचरितमानस के अलावा सुंदरकांड, पुराण, उपनिषद, भक्त चरित्र, भजन माला, कल्याण, आरती संग्रह आदि पुस्तकों की भी जबरदस्त बिक्री हुई।