यूपी की फिल्म सिटीः फिल्में तो बनेंगी, पैसा कैसे निकलेगा ये है बड़ा सवाल
हास्य अभिनेता संजय मिश्र ने कहा गोरखपुर मेरा अपना शहर है। रिश्तेदारी होने के कारण बचपन से आना-जाना है। यदि गोरखपुर के लोग कोई फिल्म बनाते हैं तो वह इसमें कम धनराशि में भी काम करने को तैयार हैं ताकि गोरखपुर में फिल्मों को बढ़ावा और स्थानीय कलाकारों को बेहतर मंच मिले।
गोरखपुर से पूर्णिमा श्रीवास्तव
गोरखपुर। गोरखपुर पहुंचे बॉलीवुड के मशहूर हास्य अभिनेता संजय मिश्रा ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के नोएडा में फिल्म सिटी का निर्माण सरकार की सकारात्मक पहल है। इससे फिल्में बनेंगी। लेकिन सवाल यह है कि प्रोड्यूसर अपना पैसा कैसे निकालेगा। इसके लिए सरकार व समाज को प्रोत्साहन के लिए कई कदम उठाने होंगे। लोगों को भी सिनेमाघरों तक पहुंचना होगा।
सिनेमाघर तो तैयार करें
सरकार को चाहिए कि फिल्म सिटी निर्माण के साथ सिनेमाघरों को पुनः व्यवस्थित करें ताकि उसमें फिल्में चलाई जा सकें। यदि सिनेमा हाल ही नहीं रहे तो सिनेमा बनाने का क्या फायदा होगा।
अभिनेता संजय मिश्रा बुधवार को प्रेस क्लब की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में पत्रकारों से मुखातिब थे। उन्होंने वेब सीरीज में अश्लीलता परोसे जाने के एक सवाल के जवाब में कहा कि सिनेमा मार्केटिंग का मीडिया है। सिनेमा समाज का दर्पण है। जो समाज में चल रहा है, वही दिखाया जाता है। पिक्चर में द्विअर्थी संवादों, गाली और महिला हिंसा दिखाया जाना सही नहीं है। लेकिन लोग इसे घर में खुद पर लागू तो करें।
भोजपुरी फिल्मों के भविष्य पर सवाल
उन्होंने कहा कि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत सुधार की जरूरत है। भोजपुरी में सुंदर व पारिवारिक फिल्में बनें तो भोजपुरी फिल्में भी चलेंगी। क्षेत्रीय भाषाओं में कई राज्यों में फिल्म इंडस्ट्री सफल है। भोजपुरी सिनेमा जगत भी एक दिन समृद्ध होगा।
उन्होंने कहा कि भोजपुरी फिल्में देखने लोग सिनेमा हाल तक नहीं जाते हैं जबकि अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों को देखने वहां के लोग भारी संख्या में सिनेमाघरों तक पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो आदि की बढ़ती लोकप्रियता पर कहा कि जिस तरह मल्टीप्लेक्स खुलने से छोटे सिनेमाघरों पर असर पड़ा है, उसी तरह मोबाइल एप पर फिल्में उपलब्ध होने से मल्टीप्लेक्स पर भी असर पड़ेगा।
इसे भी पढ़ें भोजपुरी फिल्मों में हाथ आजमाने उतर रहे हैं लखनऊ के मयंक दुबे
श्री मिश्र ने कहा कि सफल होने के बाद व्यस्त रहें लेकिन बड़े मत बनें। अपनों से सदैव जुड़े रहें। गोरखपुर मेरा अपना शहर है। रिश्तेदारी होने के कारण बचपन से आना-जाना है। इसलिए यदि गोरखपुर के लोग कोई फिल्म बनाते हैं तो वह इसमें कम धनराशि में भी काम करने के लिए तैयार हैं ताकि गोरखपुर में फिल्मों को बढ़ावा और स्थानीय कलाकारों को बेहतर मंच मिले।
इन फिल्मों से संजय मिश्रा को मिली पहचान
ओह डार्लिंग ये है इंडिया, सत्या, दिल से, फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी, साथिया, जमीन, प्लान, ब्लफमास्टर, बंटी और बबली, गोलमाल, अपना सपना मनी मनी, गुरू, बॉम्बे टू गोवा, धमाल, वेलकम, वन टू थ्री, क्रेजी 4, गाड तुसी ग्रेट हो, गोलमाल रिटर्न्स, ऑल द बेस्ट: फन बिगिन्स, अतिथि तुम कब जाओगे, गोलमाल 3, फंस गए रे ओबामा, चला मुसद्दी ऑफिस ऑफिस, सन ऑफ सरदार, जॉली एलएलबी, बॉस, आंखो देखी, भूतनाथ रिटर्न्स, किक, दम लगा के हईशा।