कम्युनिस्ट पार्टी का योगी सरकार पर किसानों की अनदेखी का आरोप
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने योगी सरकार पर किसानो की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि उत्तर प्रदेश का किसान यूरिया खाद के घोर अभाव के संकट से जूझ रहा है।
लखनऊ: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने योगी सरकार पर किसानो की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि उत्तर प्रदेश का किसान यूरिया खाद के घोर अभाव के संकट से जूझ रहा है। माकपा राज्य सचिव मण्डल ने मांग की है कि किसानों के लिए यूरिया खाद का पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए फौरन ठोस कदम उठाये जायें। बिजली दरों का स्लैब कम करके आम उपभोक्ताओं पर बोझ न डाला जाय और बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में फसल बर्बादी का कम से कम तीस हजार रूपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाय।
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जमाखोरों एवं मुनाफाखोरों के हित में यूरिया खाद का यह कृत्रिम अभाव पैदा किया गया। एक तरफ जहां कोआपरेटिव पर खाद की बेहद कमी या अनुपलब्धता बनी हुई है।
मार्क्सवादी उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मण्डल ने अपनी बैठक के बाद कहा
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मण्डल ने अपनी बैठक के बाद कहा कि उत्तर प्रदेश का किसान यूरिया खाद के घोर अभाव के संकट से जूझ रहा है। जमाखोरों एवं मुनाफाखोरों के हित में यूरिया खाद का यह कृत्रिम अभाव पैदा किया गया। एक तरफ जहां कोआपरेटिव पर खाद की बेहद कमी या अनुपलब्धता बनी हुई है वहीं दूसरी तरफ बाजारों में अधिक दाम देने पर ब्लैक में पर्याप्त खाद उपलब्ध है। कोआपरेटिव पर्याप्त खाद उपलब्धता का सरकारी दावा झूठा साबित हो रहा है। क्या कारण है कि मुख्यमंत्री की चेतावनी के बाद भी कालाबाजारी धड़ल्ले से जारी है।
नलकूप धारक किसानों के लिए मनमानी तरीके से बिजली हार्सपावर में वृद्धि की जा रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों, मजदूरों, गरीब एवं मध्यम उपभोक्ताओं के ऊपर बिजली दर वृद्धि का एक और बोझ बिजली दरों के स्लैब को कम करके लादने जा रही है। नलकूप धारक किसानों के लिए मनमानी तरीके से बिजली हार्सपावर में वृद्धि की जा रही है। कई जिलों में 12 से 13 हार्सपावर के हिसाब से किसानों से वसूली शुरू हो चुकी है।
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बाढ़ से प्रभावित जिलों में फसलों का भारी नुकसान हुआ है और सरकार अभी नुकसान का आंकलन भी नहीं करा पायी है। माकपा राज्य सचिव मण्डल ने मांग की है कि किसानों के लिए यूरिया खाद का पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए फौरन ठोस कदम उठाये जायें। बिजली दरों का स्लैब कम करके आम उपभोक्ताओं पर बोझ न डाला जाय और बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में फसल बर्बादी का कम से कम तीस हजार रूपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाय।
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