यहां रोगियों को नहीं छूते स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर, अपना इलाज खुद करते हैं मरीज

डॉक्टर ने यह कह कर उनके इलाज से इनकार कर दिया कि टिटनेस का इंजेक्शन नहीं है। राजेंद्र जब इंजेक्शन खरीद कर पहुंचे तो डॉक्टर ने राजेंद्र की मरहम पट्टी से भी इनकार कर दिया। इसके बाद टिटनेस पीड़ित राजेंद्र खुद इमरजेंसी में जा पहुंचे और उन्हें खुद ही अपनी मरहम पट्टी करनी पड़ी।

Update: 2016-09-11 07:15 GMT

शामली: सरकार ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को बजट भी दिया है और स्टाफ भी। दावा है, कि दूरदराज गांवों तक लोगों को मुफ्त और तत्काल इलाज की सुविधा मिलती है। लेकिन शामली के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों को अपना इलाज खुद करना पड़ता है।

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मरीज करे अपना इलाज

-शामली के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की मनमानी चलती है। जिसका चाहे इलाज करें, जिसको चाहे मना कर दें।

-टिटनेस के एक मरीज राजेंद्र का कहना है कि डॉक्टर ने यह कह कर उनके इलाज से इनकार कर दिया कि टिटनेस का इंजेक्शन नहीं है।

-राजेंद्र जब इंजेक्शन खरीद कर पहुंचे तो डॉक्टर ने राजेंद्र की मरहम पट्टी से भी इनकार कर दिया।

-इसके बाद टिटनेस पीड़ित राजेंद्र खुद इमरजेंसी में जा पहुंचे और उन्हें खुद ही अपनी मरहम पट्टी करनी पड़ी।

कार्रवाई का भरोसा

-हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों का कहना है कि डॉक्टर अपनी मर्जी से किसी को देखते हैं, और मन न हो तो इनकार कर देते हैं।

-चिकित्सा प्रभारी शामली ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हर समय डॉक्टर की ड्यूटी होती है। इंजेक्शन और दवाएं भी केंद्रों पर उपलब्ध रहती हैं।

-ऐसे में, इमरजेंसी में डॉक्टर की गैरमौजूदगी या दवाओं-इंजेक्शन का न होना गंभीर बात है।

-चिकित्सा प्रभारी शामली डॉ. जगमोहन ने कहा है कि इन लापरवाहियों पर कार्रवाई की जाएगी।

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