Jaunpur News: पूर्व राज्यपाल के निधन पर शोक, समाज सेवी संस्थाओं ने किया याद

सिद्धपीठ के नाम से विख्यात बरिष्ट पत्रकार पंडित चन्द्रेश मिश्रा की अध्यक्षता में कचहरी के पास एक शोक सभा किया गया। जिसमें वक्ताओं ने स्व. माता प्रसाद के जीवन पर चर्चा करते हुए उनकी सहजता सरलता के विषय में व्याख्यान देते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया।

Update: 2021-01-20 12:22 GMT

जौनपुर। पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद के निधन पर जनपद के प्रबुद्ध जनो सहित तमाम समाज सेवी संस्थाओं द्वारा आज शोक सभा करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया गया है। शोक सभाओ में स्व माता प्रसाद के कार्यों को मील का पत्थर बताते हुए उनकी सादगी और सरलता की चर्चाएं की गयी। गांव से लेकर उचाईयों की बुलंदियों तक के सफ़र पर बातें किया गया।

पूर्व राज्यपाल के निधन पर शोक सभा

इस क्रम में शहर की सिद्धपीठ के नाम से विख्यात बरिष्ट पत्रकार पंडित चन्द्रेश मिश्रा की अध्यक्षता में कचहरी के पास एक शोक सभा किया गया। जिसमें वक्ताओं ने स्व. माता प्रसाद के जीवन पर चर्चा करते हुए उनकी सहजता सरलता के विषय में व्याख्यान देते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया। इस शोक सभा में स्व. माता प्रसाद मित्र में शुमार पंडित चन्द्रेश मिश्रा ने बताया कि तहसील मछली शहर के कजियाना मुहल्ले में दलित जगरूप राम के पुत्र के रूप में 11अक्तूबर 1924 को माता प्रसाद का जन्म हुआ और 19/20 जनवरी 21की अर्ध रात्रि को गोलोक वासी हो गये।

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1993 में बने थे अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल

पंडित मिश्रा ने बताया कि अपनी शिक्षा दीक्षा के पश्चात मड़ियाहू के बेलवां प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के रूप में जीवन की शुरुआत किया और सन् 1955 में कांग्रेस का दामन पकड़ा और जीवन के अन्तिम क्षणों तक कांग्रेस के सदस्य बनें रहे। जगजीवन राम को अपना राजनैतिक आदर्श मानने वाले माता प्रसाद सन् 1957 से 74 तक शाहगंज (सु) विधानसभा से लगातार 5 बार विधायक रहे और सन् 1980 से 92 तक उच्च सदन विधान परिषद के सदस्य रहे। इसी बीच इन्हें 1988 में प्रदेश सरकार मंत्रीमंडल में बतौर राजस्व मंत्री के रूप सरकार का हिस्सा बनने का गौरव प्राप्त हुआ। इसके बाद 21 अक्तूबर 1993 को कांग्रेस के शासन काल में अरूणाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था 31 मई 1999 तक बतौर राज्यपाल इन्होंने अपने राजनैतिक सफर को पहुंचाया।

माता प्रसाद की कृतियां

स्व. माता प्रसाद एक राजनैतिक के साथ साथ साहित्य की दुनिया में अपना नाम दर्ज कराया था। अपने जीवन काल में उन्होंने एकलव्य खंडकाव्य, भीम शतक प्रबंध काव्य, राजनीत की अर्थ सतसई, परिचय सतसई, दिग्विजयी रावण जैसी काव्य कृतियों की रचना ही नहीं की, वरन अछूत का बेटा, धर्म के नाम पर धोखा, वीरांगना झलकारी बाई, वीरांगना उदा देवी पासी , तड़प मुक्ति की, धर्म परिवर्तन प्रतिशोध, जातियों का जंजाल, अंतहीन बेड़ियां, दिल्ली की गद्दी पर खुसरो भंगी जैसे नाटक भी रचे। इसके साथ ही राज्यपाल रहते उन्होंने मनोरम अरुणाचल पूर्वोत्तर भारत के राज्य , झोपड़ी से राजभवन आदि उल्लेखनीय कृतियां लिखी हैं। उनका जीवन सादगीपूर्ण रहा और राज्यपाल पद से हटने के पश्चात माता प्रसाद जी आम नागरिक की तरह अपना जीवन व्यतीत करते हुए आज 19/20 जनवरी 21को अलविदा कह दिया है ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।

लोगों ने व्यक्त की शोक

शोक सभा में यहाँ कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष इन्द्रभुवन सिंह, जौनपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष कपिल देव मौर्य, डा पीसी विश्वकर्मा, तिलकधारी निषाद, पत्रकार राम दयाल द्विवेदी, डाक विभाग भारतीय मजदूर युनियन के जिलाध्यक्ष फूलचन्द भारती, रबी श्रीवास्तव, अखिलेश श्रीवास्तव आदि लोगों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए शोक संवेदना व्यक्त किया।

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माता प्रसाद के निधन से कांग्रेस को एक बड़ी क्षति

इसी क्रम में कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष नदीम जावेद ने ट्वीट कर अपनी शोक संवेदना व्यक्त करते परिवार को इस दुःख को सहन करने की कामना किया है और कहा कि माता प्रसाद जी के निधन से कांग्रेस को एक बड़ी अपूर्णीय क्षति हुई है। कांग्रेस जिला कमेटी के अध्यक्ष फैसल हसन तबरेज, किसान कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र निषाद,अधिवक्ता राजन तिवारी, सुरेन्द्र त्रिपाठी, बाबा सिंह, सत्य वीर सिंह सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस जनों ने अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त किया और मृत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया है।

रिपोर्ट- कपिलदेव मौर्या

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