कर्मचारियों के भत्ते पर रोक लगाना UP सरकार का अमानवीय व तुगलकी फरमान: कांग्रेस

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भाजपा सरकार द्वारा अपने राजस्व की कमी का बहाना बनाकर प्रदेश के कर्मचारियों व पेंशनरों के भत्ते पर एक साल की रोक लगाने को अमानवीय, अव्यवहारिक और तुगलकी फरमान करार दिया है।

Update: 2020-04-26 18:19 GMT

लखनऊ: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भाजपा सरकार द्वारा अपने राजस्व की कमी का बहाना बनाकर प्रदेश के कर्मचारियों व पेंशनरों के भत्ते पर एक साल की रोक लगाने को अमानवीय, अव्यवहारिक और तुगलकी फरमान करार दिया है। उन्होंने सरकार से कोरोना महामारी के समय मंे ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिये सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने रविवार को कहा कि यूपी सरकार के इस अव्यवहारिक फैसले से राज्य के करीब 16 लाख कर्मचारी व 11.8 लाख पेंशन-धारक प्रभावित होंगे।

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी और लाकडाउन के समय प्रदेश के चिकित्सकों, पुलिसकमियों, सफाई कर्मचारियों, शिक्षकों सहित सभी कर्मचारियों पर दो गुना काम का बोझ है। ऐसे समय में उनका डीए और डीआर पर रोक लगाना उन्हें हतोत्साहित करना होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार निजी कंपनियों व उद्योगों के मालिकों से ये अपील करती है कि अपने कर्मचारियो का वेतन न काटे और समय से पहले वेतन दे, वही दूसरी तरफ सरकार द्वारा खुद के कर्मचारियों का हक मारना दुर्भाग्यपूर्ण होगा।

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अजय कुमार ने कहा कि सभी कर्मचारी संगठनों ने अपनी क्षमता के अनुसार खुद आगे आकर प्रदेश के राहत कोष में मदद दी है। सरकार द्वारा इस कर्मचारी विरोधी फैसले से सभी कर्मचारी नाराज है और आंदोलन कर सकते है। उन्होने कहा कि भत्तों पर रोक लगने से कार्मिकों को इस समय जो वेतन मिल रहा है वह कम मिलेगा। भत्तों की कटौती से सबसे अधिक नुकसान सचिवालय के कार्मिकों को होगी। नगर प्रतिकर भत्ता और सचिवालय भत्ता नहीं मिलने से सचिवालय में समूह क से समूह घ तक के अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रतिमाह 1500 से लेकर 3500 रुपए वेतन कम मिलेगा।

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बता दें कि कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार को यूपी सरकार द्वारा राज्य कर्मचारियों के डीए समेत छह भत्तों में कटौती का विरोध करते हुए सवाल उठाया था कि सरकारी कर्मचारियों का डीए किस तर्क से काटा जा रहा है? जबकि इस दौर में उनपर काम का दबाव कई गुना हो गया है। दिन रात सेवा कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिसकर्मियों का भी डीए काटने का क्या औचित्य है? तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को इससे बहुत कष्ट है। पेन्शन पर निर्भर लोगों को यह चोट क्यों मारी जा रही है?

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प्रियंका ने कहा था कि सरकारें अपने अनाप शनाप खर्चे क्यों नहीं बंद करतीं? सरकारी व्यय में 30 प्रतिशत कटौती क्यों नहीं घोषित की जाती? सवा लाख करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजना, 20,000 करोड़ रुपये की नई संसद भवन परियोजना जैसे गैरजरूरी खर्चों पर रोक क्यों नहीं लगती?

रिपोर्ट: मनीष श्रीवास्तव

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