अजय लल्‍लू ने अमित शाह को दिखाया आईना, पेश कर दी यूपी के पत्रकारों की सूची

न्‍यूज ट्रैक से बातचीत में अजय कुमार लल्‍लू ने कहा कि उत्‍तर प्रदेश में योगी सरकार के भ्रष्‍टाचार को उजागर करने की कोशिश करने वाले पत्रकारों का खुला दमन किया जा रहा है। मिर्जापुर में मिड डे मील के दौरान बच्‍चों को रोटी व नमक खिलाए जाने की खबर देने वाले पत्रकार को मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया।

Update:2020-11-04 20:26 IST
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लखनऊ। अरनब गोस्‍वामी की आपराधिक मामले में गिरफ्तारी को लोकतंत्र के चौथे स्‍तंभ पर हमला बताने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष अजय कुमार लल्‍लू ने आईना दिखाने की कोशिश की है। उन्‍होंने कहा कि उत्‍तर प्रदेश के जंगलराज का आपातकाल उन्‍हें क्‍यों नहीं दिखाई दे रहा है।

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को एक टवीट कर रिपब्लिक भारत टीवी न्‍यूज चैनल के मालिक व संपादक अरनब गोस्‍वामी की गिरफ्तारी की कटु निंदा की है। उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने एक बार पिफर लोकतंत्र को शर्मिंदा किया है। यह घटना राज्‍य सरकार की शक्तियों का खुला दुरुपयोग है और लोकतंत्र के चौथे स्‍तंभ पर हमला है। इसने आपातकाल की यादें ताजा कर दी हैं। प्रेस यानी अभिव्‍‍यक्ति की स्‍वतंत्रता पर यह हमला है और इसका हर हाल में विरोध किया जाना चाहिए।

केंद्रीय गृह मंत्री के इस टवीट का जवाब उत्‍तर प्रदेश के कांग्रेस अध्‍यक्ष अजय कुमार लल्‍लू ने दिया है। उन्‍होंने केंद्रीय गृह मंत्री को संबोधित करते हुए कहा कि - माननीय गृह मंत्री @AmitShah जी ! बलरामपुर गैंगरेप सामने लाने वाले पत्रकार मिथलेश कुमार पर मुकदमा, सीतापुर में पत्रकार रविन्द्र सक्सेना पर मुक़दमा,मिर्जापुर में पत्रकार पवन जायसवाल पर मुक़दमा,फतेहपुर में पत्रकार अजय भदौरिया और विवेक मिश्रा पर मुक़दमा। ऐसे सैंकड़ों पत्रकारों पर मुकदमें किये गए। उप्र के 'जंगलराज का आपातकाल' क्यों नहीं दिखता? उप्र में भाजपा सरकार के व्यवहार पर यह संवेदना क्यों नहीं जगती?

जाने क्या बोले अजय लल्‍लू...

न्‍यूज ट्रैक से बातचीत में अजय कुमार लल्‍लू ने कहा कि उत्‍तर प्रदेश में योगी सरकार के भ्रष्‍टाचार को उजागर करने की कोशिश करने वाले पत्रकारों का खुला दमन किया जा रहा है। मिर्जापुर में मिड डे मील के दौरान बच्‍चों को रोटी व नमक खिलाए जाने की खबर देने वाले पत्रकार को मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया।

बड़ी तादाद में यूपी के पत्रकार केवल सरकार की जय-जयकार करने में जुटे हुए हैं क्‍योंकि उन्‍हें डर है कि अगर योगी सरकार के खिलाफ कुछ भी बोला तो उन्‍हें भी जेल भेज दिया जाएगा। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को प्रताडित करने के लिए झूठे मुकदमों में जेल भेजा जा रहा है। लोकतंत्र की रक्षा क्‍या यूपी में करना जरूरी नहीं है। अरनब गोस्‍वामी को जिस मामले में पकडा गया है वह दो लोगों की आत्‍महत्‍या से जुडा है।

उन पर करोडों रुपये हडपने का आरोप है। उनकी बेइमानी की वजह से एक युवक और उसकी मां ने जान दे दी। सुसाइड नोट छोडकर मरे और पिछली सरकार ने मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया। अब पीडित परिवार को न्‍याय मिलने की उम्‍मीद बढी तो उसे लोकतंत्र की हत्‍या बताया जा रहा है। अरनब गोस्‍वामी पर आत्‍महत्‍या के लिए उकसाने का मामला भी क्‍या इसलिए बंद कर दिया जाए कि वह किसी राजनीतिक दल के खास आदमी हैं।

दूसरी ओर कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने भी केंद्र सरकार पर हमला बोला है और कहा कि पिछले सात साल के दौरान दर्जनों पत्रकारों पर दमन की कार्रवाई की गई है। केंद्र की मौजूदा सरकार के शासन में अब तक गिरफ्तार पत्रकारों की सूची भी लंबी है। उन्‍होंने एक सूची भी सोशल मीडिया पर पेश की है और पूछा है कि क्‍या भाजपा फासीवाद तभी मानेगी जब कार्रवाई अरनब गोस्‍वामी पर होगी।

मोदी सरकार में गिरफ़्तार पत्रकार

केसी वांग्केम

ओम शर्मा

एम ए गनाई

अश्वनी सैनी

विशाल आनंद

नेहा दीक्षित

सिद्धार्थ वरदराजन

प्रशांत कनौजिया

पवन चौधरी

एएसआर

मनीष पांडे

सुभास राय

विजय विनीत

जुबैर अहमद

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