पश्चिम यूपी में प्रियंका गांधी की ललकार, किसानों के मुद्दे पर सरकार पर करेंगी वार

कांग्रेस महासचिव प्रभारी प्रियंका गांधी सात मार्च को केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ कल मेरठ में एक किसान पंचायत में शामिल होंगी।

Update: 2021-03-06 16:19 GMT

मेरठ। कांग्रेस महासचिव प्रभारी प्रियंका गांधी सात मार्च को केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ कल मेरठ में एक किसान पंचायत को संबोधित करने वाली हैं। यह पंचायत किसानों की दुर्दशा को उजागर करने के लिए पार्टी के अभियान का हिस्सा होगी। प्रियंका गांधी ने हाल ही में मथुरा जिले में एक किसान पंचायत को संबोधित किया था, जो तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 27 जिलों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की एक श्रृंखला का हिस्सा है।

प्रियंका गांधी मेरठ दौरे पर, ये है कांग्रेस महासचिव का कार्यक्रम

कांग्रेस प्रवक्ता हरिकिशन अम्बेडकर ने बताया कि 7 मार्च को दोपहर 12:00 बजे केली (सरधना) में मोदी सरकार द्वारा किसानों पर थोपे गये काले कानूनों को वापस लेने की मांग करेंगी। कांग्रेस प्रवक्ता हरिकिशन अम्बेडकर ने बताया कि किसानों को लाने ले जाने के लिए ब्लाक व न्याय पंचायत अध्यक्षों की जिमेदारिया तय की गई है। कांग्रेस प्रवक्ता के अनुसार महापंचायत में हजारों लोग शामिल होंगे।

ये भी पढ़ेँ- ममता पर शुभेंदु का हमला, बोले- अगर वो सत्ता में आए तो बंगाल कश्मीर बन जाएगा

सरकार के कृषि कानून के खिलाफ किसान पंचायत में होगी शामिल

उधर,आज अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव ज़ुबैर अहमद व रोहित गुजर्र ने तैयारियों को देखकर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि किसान विरोधी काले कानून मोदी सरकार के ताबूत में आखरी कील साबित होंगे। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अवनीश काजला ने दावा किया कि प्रियंका गांधी की महापंचायत को लेकर किसानों व आम जनों में बहुत उत्साह हैं। कांग्रेस नेताओं द्वारा आज भराला, कनोड़ा, रुहसा, दशरथ पुर , लोइया, जमाल पुर, सकौती , मटौर, नंगली आदि गांवों में महापंचायत के लिये जनसम्पर्क किया।

प्रियंका गांधी के मेरठ दौरे से पहले किसानों को

कांग्रेस नेता प्रियंका ने किसानों के समर्थन में एक फेसबुक पोस्ट भी की, जिसमें उन्होने लिखा, किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे हो चुके हैं। जहां एक तरफ किसानों ने अपने हक की आवाज उठाते हुए अपने शांतिपूर्ण आंदोलन को जारी रखा है। वहीं भाजपा सरकार ने इस आंदोलन को तोड़ने, बदनाम करने एवं किसानों को बुरा बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के गन्ने का रेट 4 सालों से जस का तस है। गन्ने का 10,000 करोड़ का भुगतान बकाया है। आलू किसानों को भी भारी नुकसान हो रहा है। लेकिन सरकार केवल बहाने बनाने, झूठ बोलने एवं किसानों का अपमान करने में व्यस्त है। कल मेरठ में किसान पंचायत में किसानों से संवाद करूंगी। किसानों की हक की लड़ाई में मैं और कांग्रेस पार्टी पूर्ण रूप से किसानों के साथ हैं।

किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे

गौरतलब है कि किसान बीते 100 दिन से कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं और देश भर में पंचायतें कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों को 2019-20 का बकाया नहीं मिला है। 2020-21 में सामान्य किस्म के गन्ने की एमएसपी में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह तीसरा सीधा वर्ष है जब राज्य सरकार ने गन्ने के मूल्य में वृद्धि नहीं करने का निर्णय लिया है। 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद एसएपी को 2017 में 10 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया गया था। किसान नई एसएपी को 325 रुपये से बढ़ाकर 450 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग कर रहे हैं।

सुशील कुमार,मेरठ।

Tags:    

Similar News