गजब! कोविड वैक्सीन से अंधे होने का दावा, अदालत ने कहा जांच कर मुआवजा तय करो

Corona Vaccine: एक सरकारी कर्मचारी ने वैक्सीन से अंधा होने का दावा किया है। इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि जांच कर मुआवजा तय करो।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Shreya
Update:2021-07-03 11:47 IST

कोविड वैक्सीन (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Corona Vaccine: कोरोना की दूसरी लहर (Corona Virus Second Wave) को कोरोना वैक्सीनों (Corona Vaccine) के जरिये कंट्रोल किया गया। यह बात अपनी जगह बिल्कुल सही है। कोरोना की अगस्त के आखीर में संभावित कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए देश में फिलहाल कोविशील्ड, कौवैक्सीन और स्पुतनिक V वैक्सीन दी जा रही है। केंद्र व राज्य सरकारें वैक्सीनेशन के अभियान को लगातार तेज करने और अधिकतम लोगों का वैक्सीनेशन करने के लिए प्रयासरत हैं। इन सबके बावजूद वैक्सीन के साइड इफेक्ट (Corona Vaccine Side Effects) की खबरें भी यदा कदा सुनने में आती रहती हैं लेकिन कोई भी साइड इफेक्ट खतरनाक नहीं होता।

लेकिन इसी बीच 15 जून को कोरोना की वैक्सीन से मौत (Death Due To Corona Vaccine) का पहला मामला सामने आया जिसकी सरकारी पैनल ने पुष्टि की। इसी तरह अब एक और नया मामला सामने आया है जिसमें एक सरकारी कर्मचारी ने वैक्सीन से अंधा होने का दावा किया है और इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बदायूं (Budaun) के जिला मजिस्ट्रेट (DM) को यह तय करने का निर्देश दिया है कि क्या कोई सरकारी कर्मचारी जो यह दावा करता है कि कोविड -19 का टीका (Covid-19 Vaccine) लगने के बाद दोनों आंखों की रोशनी चली गई है, वह कानून के तहत मुआवजा पाने का अधिकारी है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी ने लेखपाल (सरकारी लेखाकार) ऐश्वर्य कुमार शर्मा (Aishwarya Kumar Sharma) की पत्नी द्वारा दायर एक रिट याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि यदि याचिकाकर्ता जिला मजिस्ट्रेट, बदायूं को सभी प्रासंगिक चिकित्सा रिपोर्टों के साथ नए सिरे से प्रत्यावेदन करता है, तो उसकी शिकायतों की एक सप्ताह के भीतर सुनवाई पूरी कर प्राधिकरण कानून के अनुसार शीघ्रता से निर्णय लेगा। गौरतलब है कि दंपति का 10 साल का एक बेटा है।

पत्नी ने की मुआवजे की मांग

याचिकाकर्ता प्रभा मिश्रा ने अपने पति को "कोविड -19 के टीके के कारण अंधेपन के लिए" मुआवजे की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। उसने अदालत से अनुरोध किया कि वह प्रतिवादियों को 19 अप्रैल के उनके अभ्यावेदन पर निर्णय लेने और उस पर विचार करने का निर्देश दे।

मिश्रा ने बताया कि उनके पति ने "12 फरवरी को कोविड -19 से बचाव के लिए वैक्सीन लगने के तुरंत बाद दृष्टि खो दी", और दावा किया कि अधिकारियों द्वारा उनकी बात सुनने से इनकार करने के बाद उन्होंने अदालत का रुख किया है। 

क्या है पत्नी का कहना?

उन्होंने कहा 12 फरवरी को, मेरे पति ऐश्वर्या कुमार शर्मा, जो कि बदायूं जिले की बिसौली तहसील में एक लेखपाल हैं, को प्रशासन द्वारा आयोजित एक शिविर के दौरान तहसील परिसर में वैक्सीन की पहली खुराक मिली। उसे कोविशील्ड दी गई। पहली खुराक लेने के बाद वह तेज बुखार और सिर दर्द के साथ घर आया और उसकी आंखें लाल हो गई थीं। हमने सोचा कि आंखों में लाली बुखार की वजह से होगी।

फिर चार दिन बाद भी उसका बुखार नहीं उतरा और उसे उल्टी होने लगी। उसका सिरदर्द भी बना रहा और पैरासिटामोल की भारी खुराक लेने के बावजूद बुखार और सिरदर्द बना रहा। फिर, उसकी दृष्टि धुंधली हो गई और हमने एक स्थानीय केमिस्ट से एक आईड्रॉप लिया और उसका इस्तेमाल किया। लेकिन कोई राहत नहीं मिली और टीका लगने के सात दिन बाद उनकी आंखों से मवाद निकलना शुरू हो गया।

आंखों की समस्याओं के लिए अपने पति के इलाज के बारे में पूछे जाने पर, श्रीमती मिश्रा ने कहा, सबसे पहले, मैं उसे बदायूं जिले के एक डॉक्टर के पास ले गई, और डॉक्टर ने एक सप्ताह तक उसका इलाज किया। डॉक्टर ने उसे एम्स रेफर कर दिया। लेकिन इसके बजाय, हम बरेली जिले गए, जो कि करीब है, और एक निजी डॉक्टर से सलाह ली।

बरेली के डॉक्टर ने कहा कि संक्रमण टीके के कारण हुआ है और उसे एम्स या जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ रेफर कर दिया। फिर हम अलीगढ़ गए, जहां डॉक्टरों ने कहा कि उसे एम्स ले जाना चाहिए। एम्स के डॉक्टरों ने उनकी आंखों का इलाज करने की कोशिश की, लेकिन फिर हार मान ली और कहा कि उनकी आंखों की रोशनी वापस नहीं आएगी।

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