कोरोना काल का दंश: कमजोर पड़ गई हैं आपकी नजर, बच्चों से लेकर बड़ों तक को लगा चश्मा
Prayagraj News: कोरोना काल के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई और वह वर्क फ्रॉम होम की वजह से हर उम्र के लोग आंखों की रोशनी से प्रभावित हो रहे हैं। सबसे ज्यादा असर स्कूली बच्चों पर देखा जा रहा है।
Prayagraj News: कोरोना... एक बीमारी जो हम पर काल बनकर टूटी थी। हालांकि, खतरा अब भी पूरी तरह टला नहीं, लेकिन जीवन अब पहले से काफी बेहतर स्थिति में पहुंच चुका है और हम आम जीवन जीना शुरू कर चुके हैं। स्कूल कलेज खुलने लगे हैं। कंपनीज वर्क फ्राम होम बंद कर के वापस ऑफिस से काम करना शुरु कर चुकी हैं। बच्चे भी काफी खुश हैं क्योंकि, अब वो खेल कूद सकते हैं और अपने दोस्तों से भी मिल सकते हैं। इधर सब कुछ नॉर्मल हो ही रहा था कि एक बार फिर से चीन में कोरोना ने हाहाकार मचाया हुआ है।
चीन में स्थिति अभी डरावनी बनी हुई है। श्मशान में जगह नहीं है, 20-20 दिनों की वेटिंग है। इस स्थिति ने जिसने एक बार फिर से पूरी दुनिया को corona को लेकर सचेत होने को मजबूर कर दिया है। सरकारों ने भी इस तरफ ध्यान देना शुरू कर दिया है। लेकिन क्या, आपने कोरोना काल के बाद बदले हुए जीवन पर ध्यान दिया। नहीं दिया तो हम आपको बताते हैं।
कोरोना काल में लगे बच्चों को चश्में
सबसे पहले इन बच्चों को देखिए खुश हैं। मन लगाकर पढ़ रहे हैं, खेलकूद भी रहे हैं, लेकिन क्या आपने एक बात गौर किया कि, आज से 2- 3 साल पहले तक इनकी आंखों पर किसी तरह का चश्मा नहीं था। लेकिन अब है, वजह है कोरोना काल। अब आप कहेंगे कि कोरोना से चश्मे का क्या संबंध, लेकिन संबंध है।
कोरोना काल के बाद इंसान की आंखें थकती हुई नजर आ रही है। ऑनलाइन पढ़ाई और वह वर्क फ्रॉम होम की वजह से हर उम्र के लोग आंखों की रोशनी से प्रभावित हो रहे हैं। सबसे ज्यादा असर स्कूली बच्चों पर देखा जा रहा है। क्योंकि 2 साल जिस तरीके से कोरोना सक्रमण के चलते ऑनलाइन क्लासेस का चलन शुरू हुआ था उसका साइड इफेक्ट अब देखने को मिल रहा है।
छोटे छोटे बच्चों की आंखों पर मोटा चश्मा चढ़ चुका है और इस बात को खुद चश्मा कारोबारी भी मान रहे हैं। उनका कहना है कि लेंस लगाने वाले चश्मा की मांग बढ़ी है सबसे ज्यादा 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों को लेंस की जरूरत पड़ रही है और चश्मे की डिमांड पहले से कई ज्यादा तेज हो चुकी है। आप भी सुनिये चश्मा कारोबारी की जुबानी।
ऑनलाइन वर्क ने किया आपकी आँखों को कमजोर
ये तो बस प्रयागराज की बात है। लेकिन अगर आप अपने अपने जिले में भी इस बात पर गौर करेंगे तो फर्क आपको साफ नजर आजाएगा। आप के खुद महसूस कर सकेंगे कि कोरोना काल के बाद ऑनलाइन वर्क ने आपकी आंखों को किस कदर प्रभावित कर दिया है। क्या फर्क कभी आपने खुद महसूस नहीं किया। जरूर किया होगा।
इस मामले में जब हमने डॉक्टर्स से बात की तो उनका कहना है कि रोज की दिनचर्या में फोन लैपटॉप का ज्यादा इस्तेमाल होना इसकी बड़ी वजह है। डॉक्टर भी ये हिदायत दे रहे हैं कि अगर आपको अपनी आंखों का ख्याल रखना है तो फोन का इस्तेमाल बेहद कम करें। क्योंकि उससे निकली रेज आपकी आंखों की रोशनी को कमजोर कर रही है।
अपनी आखों की कीमत को समझिये
तो सुना आपने चैन से जीना है तो जाग जाइये। अब भी समय है अपनी आखों की कीमत को समझिये और जैसे ज्यादा काम करने के बाद आपके शरीर को आराम की जरूरत होती है ठीक उसी तरह अपनी आंखों को भी आराम दें। जरूरत से ज्यादा काम उसे न करने दें। बेवजह फोन में न घुसे रहें। घर परिवार के साथ बातें करें उनके साथ समय बिताएं। यकीन मानिये उन्हे भी अच्छा लगेगा, आपको भी और आपकी आंखों को भी। पॉसिवल हो तो इन्हे हरे भरे नजारे दिखाएं। जिससे इन्हे ठंडक पहुंचे... घर में हरियाली लगाएं। आपको स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाएगी।