योगी सरकार का बड़ा फैसला, अब सिर्फ इतने रुपए में होगी कोरोना की जांच
अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा डाॅ. रजनीश दुबे ने बताया कि थैलीसीमिया व हीमोफीलिया के मरीजों और उनके तीमारदारों की कोरोना की जांच का कोई शुल्क नहीं लिया जायेगा।
लखनऊ: यूपी में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी मेडिकल कॉलेजों और चिकित्सा संस्थानों में आने वाले ऐसे मरीज जो कोरोना पीड़ित न होकर किसी दूसरी बीमारी के इलाज के लिए आये है उनकी इलाज से पूर्व की जाने वाली कोरोना जांच में सस्ती कर दी गई है। इसके तहत जहां नॉन कोविड केयर के मरीजों की कोरोना वायरस की आरटीपीसीआर जांच में 60 प्रतिशत की कमी करते हुए 600 रुपये निर्धारित कर दी है। अभी तक ऐसे मरीजों को कोरोना टेस्ट के लिए 1500 रुपये देने पड़ते थे।
कोरोना टेस्ट की दरों में कमी करके चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मेडिकल कॉलेजों व उनसे सम्बद्ध चिकित्सा संस्थानों में इलाज कराने व भर्ती होने आ रहे नॉन कोविड केयर के मरीजों को बड़ी राहत दी है।
दरअसल इन मेडिकल कालेजों व उनसे सम्बद्ध चिकित्सा संस्थानों में इलाज कराने के पहले कोरोना टेस्ट किया जाना जरूरी किया गया हैै। जिसके कारण अभी तक ऐसे मरीजों व उनके तीमारदारों को कोरोना की आरटीपीसीआर जांच के लिए ज्यादा रकम खर्च करनी पड़ती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
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यूपी में कोरोना पर सरकार ने किया नियंत्रण
अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा डाॅ. रजनीश दुबे ने बताया कि थैलीसीमिया व हीमोफीलिया के मरीजों और उनके तीमारदारों की कोरोना की जांच का कोई शुल्क नहीं लिया जायेगा। जबकि कैंसर के मरीजों और किडनी की डायलिसिस कराने वाले रोगियों सहित अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीजों व उनके एक तीमारदार की कोरोना जांच भी केवल 300 रुपये में की जाएगी। बता दें कि यूपी में कोरोना संक्रमण पर राज्य सरकार ने काफी हद तक नियंत्रण किया है।
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बीते छह हफ्ते से लगातार नए मरीजों के मुकाबले स्वस्थ होने वाले रोगियों की संख्या ज्यादा है। 17 सितंबर को 68 हजार 235 कोरोना के सक्रिय मामलें थे, जो अब घटकर 24 हजार 858 रह गए हैं। यानी 63.57 फीसद एक्टिव केस घटे हैं। अब तक सामने आए कुल 4.77 लाख कोरोना मरीजों में से 4.46 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। रिकवरी रेट बढ़कर 93.33 प्रतिशत हो गया है।
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