कोरोना की तीसरी लहर में बाल गृहों के बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार चिंतित

कोरोना की तीसरी लहर का असर बच्चों पर पड़ने की आशंकाओं को लेकर राज्य सरकार सजग है।

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-05-16 17:19 GMT

फोटो— बाल गृह फाइल फोटो (साभार— सोशल मीडिया)

लखनऊ। कोरोना की तीसरी लहर का असर बच्चों पर पड़ने की आशंकाओं को लेकर राज्य सरकार सजग है। राज्य सरकार की तरफ से प्रदेश में 175 बाल गृहों में रह रहे शून्य से 18 साल के बच्चों को कोरोना से सुरक्षित बनाने को लेकर कहा गया हैं कि विशेषज्ञों की राय से जरूरी दवाओं का प्रबंध होना चाहिए। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाने के लिए उनके खानपान का खास ख्याल रखा जाए।

बाल ग्रहों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर विभागीय कोविड वर्चुअल ग्रुप के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने गहनता से विचार-विमर्श किया। बच्चों में कोरोना के लक्षणों और बचाव के तरीकों पर विषय विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी।

बाल गृहों के कर्मचारियों के क्षमतावर्धन के लिए कोविड वर्चुअल ग्रुप द्वारा आयोजित वेबिनार में सभी ने बाल गृहों की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने की जरूरत पर जोर दिया। सभी का यही कहना था कि बाल गृहों में साफ-सफाई, बच्चों के खानपान और उनकी खास देखभाल की इस वक्त अधिक जरूरत है।

इस अवसर पर निदेशक, महिला कल्याण मनोज कुमार राय ने कहा कि कोविड-19 को देखते हुए बाल गृहों में रह रहे बच्चों को विभिन्न आयु वर्ग में विभाजित कर उनके स्वास्थ्य की देखभाल की जाए। साफ-सफाई के उचित प्रबंध होने चाहिए। यदि किसी भी बच्चे में कोरोना से मिलते-जुलते लक्षण नजर आते हैं तो उनकी तत्काल जांच करायी जाए।

राय ने कहा कि प्रदेश में के बाल गृहों में शून्य से 18 साल के करीब 7000 बच्चे रह रहे हैं। बच्चों को बेहतर माहौल प्रदान करने के साथ ही उनके स्वास्थ्य की समुचित देखभाल के लिए अधीक्षक, केयर टेकर, काउंसलर और नर्सिंग स्टाफ की तैनात है। कोरोना काल में उनकी सेहत पर अतिरिक्त ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

इसी उद्देश्य से वेबिनार का आयोजन किया गया ताकि बाल गृहों के कर्मचारियों का क्षमतावर्धन हो सके और उनको भलीभांति मालूम रहे कि बच्चों को कोविड से सुरक्षित रखने के लिए क्या प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। वेबिनार में उपस्थित एसजीपीजीआई, लखनऊ की वरिष्ठ कंसलटेंट पेडियाट्रिशन डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने कहा कि इस समय बच्चों में कोई भी नए लक्षण नजर आएं तो उनको कोविड के दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है।

बच्चों में डायरिया, सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी, आँखे लाल होना या दर्द होना आदि कोरोना के लक्षण हो सकते हैं। इसलिए यदि ऐसे लक्षण नजर आते हैं तो उसे नजरंदाज कतई न करें और तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें और जरूरत पड़े तो कोरोना की जांच कराएँ। उन्होंने कहा कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, इसलिए उनके खाद्य पदार्थों में हरी साग-सब्जी, मौसमी फल, दूध आदि को जरूर शामिल करें ताकि शरीर में रोग से लड़ने की ताकत पैदा हो सके।

वेबिनार में प्रदेश के समस्त मंडलों के विभागीय अधिकारियों, जिलों के प्रोबेशन अधिकारियों, बाल गृहों के अधीक्षक, केयर टेकर, काउंसलर, नर्सिंग स्टाफ के अलावा मीडिया कर्मी और सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के प्रतिनिधि शामिल हुए। 

Tags:    

Similar News