कोरोना टेस्ट में अव्वल यूपी, आबादी प्रतिशत में दिल्ली से काफी पीछे

कोरोना टेस्ट के मामले में बड़ा राज्य होने के बावजूद उत्तर प्रदेश बड़ी कामयाबी हासिल करने में पिछड़ता जा रहा है।;

Written By :  Akhilesh Tiwari
Published By :  Ashiki
Update:2021-05-12 19:41 IST

कोरोना टेस्ट (Photo-Social Media)

लखनऊ: कोरोना संक्रमित रोगियों की पहचान के लिए उत्तर प्रदेश में हर रोज दो लाख से ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए सरकारी अधिकारियों की तारीफ भी की है, लेकिन अन्य राज्यों में कोरोना टेस्टिंग के प्रति दस लाख आबादी पर की जा रही जांच के आंकड़ों को देखें तो यूपी में दिल्ली के मुकाबले लगभग एक चौथाई ही जांच हो पा रही है।

कोरोना टेस्ट के मामले में बड़ा राज्य होने के बावजूद उत्तर प्रदेश बड़ी कामयाबी हासिल करने में पिछड़ता जा रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का आधारभूत ढांचा भी यूपी को अगली कतार में ले जाने में असफल है। हाल यह है कि यूपी की हालत मध्य प्रदेश, राजस्थान से ही अच्छी है जबकि प्रति दस लाख आबादी पर लोगों का कोरोना टेस्ट करने के मामले में यूपी हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य यूपी से काफी आगे निकल चुके हैं। इन राज्यों में यूपी के दो से चार गुना ज्यादा जांच हर रोज हो रही है।

कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद नए मरीजों में संक्रमण दर सात गुना तक बढ़ गया है। फरवरी 2021 में कोरोना संक्रमण दर घटकर एक प्रतिशत पर पहुंच गई थी यानी सौ लोगों में कोरोना के लक्षण मिलने पर जब जांच की जाती थी तो एक व्यक्ति ही संक्रमित मिल रहा था लेकिन अब यह दर बढ़कर 21 प्रतिशत हो गई है। दूसरी ओर जांच की रफ्तार बढ़ाने का दावा करने के बावजूद अधिकतर राज्यों में कोरोना संक्रमण की जांच में लापरवाही की जा रही है। उत्तर प्रदेश में हर रोज दो लाख से अधिक टेस्ट करने का दावा किया जा रहा है। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बात पर खुशी जताई थी कि प्रदेश में  2,33,705 कोरोना टेस्ट किये गए।इनमे 1,16,000 से अधिक टेस्ट  आरटीपीसीआर विधि से किये गए हैं। लेकिन कोरोना से लड़ाई की यह असली तस्वीर नहीं है। कोरोना को पराजित करने के लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच की जाए। यानी हर गांव-शहर में सभी कोरोना संदिग्ध लोगों की जांच कर सुनिश्चित किया जाए कि उसमें कितने लोग कोरोना की चपेट में हैं। जिससे उन लोगों को अलग रखकर इलाज दिलाया जाए और दूसरे लोगों तक कोरोना संक्रमण न पहुंचने दिया जाए।

दिल्ली और केरल में हो रही हैं सबसे ज्यादा जांच

कोरोना जांच के प्रतिदिन के आंकड़ों को प्रदेश की आबादी के अनुपात में विश्लेषित करने पर पता चल रहा है कि दिल्ली और केरल में सर्वाधिक जांच कराई जा रही है। दिल्ली में प्रति दस लाख आबादी पर 3580 कोरोना जांच हर रोज की जा रही है जबकि केरल में प्रति दस लाख आबादी पर जांच दर 2813 है। इसके विपरीत उत्तर प्रदेश में दस लाख लोगों पर केवल 924 लोगों की जांच ही हर रोज हो रही है। सबसे कम जांच राजस्थान में हो रही है जहां दस लाख आबादी पर केवल 517 लोगों की ही जांच हो पा रही है जबकि मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 734 है। मध्यप्रदेश के पड़ोस में स्थित छत्तीसगढ़ में इसके मुकाबले तीन गुना अधिक जांच 2236 हर रोज की जा रही है। हरियाणा में हर रोज 1789  लोगों की जांच की जा रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की लहर रोकने के लिए जांच दर बढ़ानी होगी। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में अगर जांच दर को प्रति दस लाख आबादी पर केरल व दिल्ली की तर्ज पर नहीं बढ़ाया गया तो लॉकडाउन का फैसला भी बेअसर साबित हो सकता है।

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