UP News: यूपी में नकल किया तो होगी पांच साल की जेल, देना पड़ेगा 25 लाख जुर्माना !
UP News: नकल रोकने के लिए राज्य विधि आयोग ने तैयार किया कानूनी मसौदा। जानिए नया ‘कानून’ कितना अलग है पुराने से?
UP Board News: एक समय था जब हाईस्कल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में जमकर नकल होता था। वहीं कई-कई स्कूल बकायदा इसका ठेका भी लेते थे। कापियां लिखने का, पास कराने का। यह भी सुनने में आता था कि बोर्ड का फार्म भरने वाला कोई और होता था और उसकी जगह परीक्षा कोई और देता था। लेकिन अब समय बदल गया है। इन सब पर काफी हद तक लगाम भी लग चुका है, लेकिन उसके बाद भी कहीं न कहीं नकल का यह कारोबार अभी जारी है। उत्तर प्रदेश में परीक्षाओं में नकल को रोकने के लिए सरकारें समय-समय पर प्रयासरत रही हैं, लेकिन उसके बाद भी यह पूरी तरह से रूकने का नाम नहीं ले रहा है। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रतियोगी और शैक्षणिक परीक्षाओं से जुड़े प्रश्न पत्रों को लीक होने को कैसे रोगा जाए, इस पर कैसे लगाम लगाया जाए। अक्सर ऐसी खबरें पेपर में देखने को मिलती हैं कि यह परीक्ष इस तारीख को होनी थी लेकिन उससे पहले ही पेपर लीक हो गया। परीक्षा में साल्वर पकड़ा गया आदि।
इस पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने बकायदा एक मसौदा तैयार किया है। विधि आयोग ने प्रतियोगी और शैक्षणिक परीक्षाओं से जुड़े प्रश्न पत्रों को लीक होने से रोकने और पेपर सॉल्वर गैंग पर लगाम लगाने के लिए एक कानूनी मसौदे को तैयार किया है। इस मसौदे को आयोग ने उत्तर प्रदेश के विधि विभाग को सौंपा है।
विधि आयोग के इस प्रस्तावित कानूनी मसौदे में 14 साल जेल और 25 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। राज्य विधि आयोग के इस कानूनी मसौदे से जुड़ी रिपोर्ट में विधि आयोग ने लिखा, ‘‘नकल एक बड़ा कारोबार हो चुका है, पेपर लीक होने की वजह से परीक्षाएं रद्द करनी पड़ती हैं, इससे सरकारी पैसों का नुकसान होता है, मौजूदा कानून नकल को रोकने में पूरी तरह से नाकाम हैं, हर 15 दिन या महीने में एक बार अखबार के पहले पन्ने पर नकल से जुड़ी सुर्खियां दिखती हैं। ये इन परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर सवाल तो उठाते ही हैं साथ ही सरकार की छवि भी धूमिल होती है।‘‘
इन्हीं बातों को आधार बना कर राज्य विधि आयोग ने नकल से निपटने के लिए अब नए विधेयक का मसौदा तैयार किया है।
नकल के क्या है पुराने कानून-
ऐसा नहीं है कि नकल को लेकर पहले राज्य में कानून नहीं है। नकल के खिलाफ यूपी में पहले से ही दो कानून हैं। पहला उत्तर प्रदेश पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट 1992 और दूसरा उत्तर प्रदेश पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट 1998। लेकिन इन दोनों कानूनों में नाबालिग परीक्षार्थियों की कम उम्र का ध्यान रखते हुए केवल सांकेतिक सजा के ही प्रावधान थे। अब यहां सवाल यह उठता है कि मौजूदा कानून होने के बाद भी नकल के लिए नए कानून की क्यों जरूरत महसूस हो रही है। विधि आयोग की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि नकल की घटनाएं काफी ज्यादा बढ़ गई हैं और यह सरकार को शर्मसार करती हैं। मौजूदा कानून सॉल्वर गैंग, पेपर लीक और नकल के संकट से निपटने के लिए नाकाम साबित हो रहे हैं। यही कारण है कि विधि आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इससे निपटने के लिए मसौदा तैयार किया है और उसे राज्य सरकार को कानून बनाने के लिए भेज गया है।
आइए यहां जानते हैं कि राज्य विधि आयोग ने नकल रोकने के लिए जो प्रस्तावित कानून के मसौदे दिए हैं उनमें क्या-क्या प्रावधान रखे गए हैं और उत्तर प्रदेश में नकल का क्या इतिहास रहा है?
नकल के तरीके और प्रस्तावित कानून में प्रावधान
विधि आयोग की जो रिपोर्ट है उसमें कहा गया है कि प्रदेश में संगठित तरीके से नकल करने और कराने वाला ढांचा है। यह ब्लूटूथ के जरिए, पेपर सॉल्वर गैंग के माध्यम से, पेपर लीक करके किया जाता है। इसमें परीक्षा आयोजित कराने वाले विभाग के कर्मचारी, अधिकारी और कंपनियां भी शामिल हो सकते हैं। जब कभी यूपी एसटीएफ ने या किसी अन्य जांच एजेंसी ने नकल गिरोह को पकड़ा है तो नकल करने और कराने के यही तरीके ही कुछ अंतर के साथ बार-बार उजागर होते रहे हैं।
जानिए क्या है प्रस्तावित नकल कानून के मसौदे का नाम?
राज्य विधि आयोग द्वारा प्रस्तावित नकल कानून के मसौदे का नाम उत्तर प्रदेश पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स, पेपर लीक एंड सॉल्वर गैंग एक्टीविटीज) बिल, 2023 रखा गया है।
कानून बनाने के लिए दोनों सदन से पारित कराना होगा
यूपी सरकार को इसे कानून बनाने के लिए दोनों सदनों विधान परिषद और विधानसभा में पहले पारित करवा कर राजपत्र के माध्यम से कानून घोषित करना पड़ेगा। सरकार जरूरत पड़ने पर इसका अध्यादेश भी पारित कर सकती है। विधि आयोग के इस मसौदे में सॉल्वर गैंग को और उसके काम करने के तौर तरीकों को काफी विस्तार से परिभाषित किया गया है।
इसमें नकल करने में किसी तरह से मदद करने वाले को सॉल्वर गैंग का सदस्य माना गया है। प्रस्तावित मसौदे में नकल में मॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल और उसे (नकल को) अंजाम देने वाले लोगों को भी दण्डित करने का प्रावधान है।
नकल करते समय पकड़े जाने वाले छात्रों के दोषी पाए जाने पर उनका परीक्षा परिणाम रोक दिया जाएगा या अभ्यर्थी अगले दो परीक्षा सत्रों में नहीं बैठ पाएगा। सॉल्वर गैंग चलाने के दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को 5 से 14 साल तक की कैद की सजा हो सकती है और 25 लाख का जुर्माना देना पड़ सकता है। यही नहीं विधि आयोग के इस प्रस्तावित कानून में संपत्ति कुर्क करने का भी प्रावधान है।
क्या कहता है प्रस्तावित मसौदा-
राज्य विधि आयोग का यह प्रस्तावित मसौदा क्या कहता है। मसौदा कहता है, ‘‘जिलाधिकारी को नकल के कारोबार से कमाए गए धन से अर्जित संपत्ति को कुर्क करने का पूरा अधिकार है।‘‘
प्रस्तावित कानून में यह भी है कि परीक्षा का पर्चा छापने वाली कंपनी से परीक्षा रद्द होने या सरकार को नकल से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए जुर्माना वसूला जा सकता है और कंपनी पर आजीवन प्रतिबन्ध भी लगाया जा सकता है।
जब पीएम मोदी ने उठाया नकल का मुद्दा
उत्तर प्रदेश के 2017 विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोंडा में एक रैली के दौरान यूपी में नकल का मुद्दा उठाया था। पीएम ने अखिलेश यादव सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘‘गोंडा में तो जत्था बंद नकल का बिजनेस चलता है, व्यापार चलता है। यहां चोरी करने की नीलामी होती है। जो सेंटर मिलता है, वो हर विद्यार्थी के मां-बाप को कहता है कि देखिए, तीन हजार डेली का, दो हजार डेली का, पांच हजार डेली का। अगर गणित का पेपर है तो इतना, अगर विज्ञान का है तो इतना। होता है कि नहीं होता है, भाइयों?‘‘ और रैली में आई जनता कहती है, ‘‘होता है।‘‘
मोदी पूछते हैं, ‘‘यह ठेकेदारी बंद होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए?‘‘ जनता कहती है, ‘‘होनी चाहिए।‘‘
मोदी पूछते हैं, ‘‘यह बेइमानी बंद होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए?‘‘ जनता कहती है, ‘‘होनी चाहिए।‘‘
यह कारोबार बंद होना चाहिए-
पीएम मोदी मंच से कहते हैं, ‘‘यह मेरे देश की भावी पीढ़ी को तबाह करने वाला कारोबार है। यह कारोबार बंद होना चाहिए। शिक्षा के साथ यह जो अपराध जुड़ गया है, वो समाज को, आने वाली पीढ़ियों तक को तबाह करके रख देता है।‘‘
पीएम मोदी के इस भाषण को अब 6 साल होने जा रहा है और तब से अब तक उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शासन कर रही है।
वहीं अगर राज्य विधि आयोग के मसौदे की मानें यूपी में नकल की समस्या अब भी काफी संगठित और व्यापक है।
सर्वे से सामने आया मसौदा-
नकल रोकने के लिए नए कानून की जरूरत विधि आयोग के एक सर्वे से सामने आई है, जिसमें 61 प्रतिशत से अधिक लोगों ने नकल रोकने के लिए एक कठोर कानून बनाने का पक्ष लिया।
सर्वे में विधि आयोग ने 18 सवालों की एक प्रश्नावली में न्याय अधिकारियों, विश्वविद्यालयों, जिला अदालतों, उच्च न्यायलयों के अधिकारियों, प्रदेश सरकार के अधिकारियों और आम लोगों से जवाब मांगे।
सर्वे में विशेष तौर पर लोगों से नकल के विरुद्ध एक सख्त कानून बनाने का सवाल पूछा गया था।
सर्वे में सॉल्वर गैंग, पेपर लीक, शैक्षणिक संस्थानों, छात्रों के अभिभावकों की भूमिका और परीक्षा कराने वाले संस्थानों की भूमिका के बारे में भी सवाल पूछे गए थे।
सर्वे में यह सामने आया कि 67 फीसद से अधिक लोग यह मानते हैं कि नकल और पेपर लीक की घटनाओं से देश में बेरोजगारी बढ़ रही है। वहीं 95 प्रतिशत यह मानते हैं कि इससे उत्तर प्रदेश की उत्पादकता बाधित हो रही है।
वहीं 81 प्रतिशत लोग यह मानते हैं कि परीक्षाओं में गड़बड़ियों की वजह से स्वास्थ्य सेवाओं में कदाचार होता है, अक्षम इंजीनियर बनते हैं और बैंक सुविधाओं में धोखाधड़ी जैसी सामाजिक बीमारियों को बढ़ावा मिलता है।
विधि आयोग का कहना है कि विधेयक बनाने के लिए कराए गए सर्वे में उन्हें पर्याप्त मात्रा में जवाब मिले।
पेपर लीक का इतिहास
31 जुलाई, 2022-
31 जुलाई 2022 को उत्तर प्रदेश में लेखपाल भर्ती मुख्य परीक्षा 12 जिलों के 501 केंद्रों पर थी, जिसमें 2.5 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। पुलिस ने पेपर लीक और नकल के 21 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था।
30 मार्च, 2022-
30 मार्च, 2022 को उत्तर प्रदेश के बलिया में, उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा के प्रश्नपत्रों के लीक होने से जुड़े एक आपराधिक मामले में पहले गिरफ्तार किए गए एक इंटर कॉलेज शिक्षक के खिलाफ कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत नए आरोप लगाए गए थे। कुल पांच लोगों के खिलाफ एनएसए लगाया गया था और 55 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।
29 नवंबर, 2021-
29 नवंबर, 2021 को यूपी में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यूपी के प्राथमिक और जूनियर स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) का पेपर लीक हुआ। इस मामले में 29 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 2,736 परीक्षा केंद्रों पर करीब 20 लाख अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल होना था।
24 अगस्त, 2021-
24 अगस्त, 2021 को यूपी में यूपीएसएसएससी द्वारा आयोजित पीईटी (प्रारंभिक पात्रता परीक्षा) के संबंध में थी और कहा गया था कि लखनऊ प्रिंटिंग प्रेस के कर्मचारियों को टेस्ट शीट के 3 सेट के लिए 36 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। लेकिन जांच करने पर यह खबर झूठी निकली। दो पालियों में आयोजित इस परीक्षा में 20,73,540 परीक्षार्थी शामिल हुए थे।
02 अप्रैल, 2016-
यूपी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा का पेपर कथित तौर पर लीक हो गया था। पुलिस ने जांच शुरू की और दो संदिग्धों को पकड़ लिया। राज्य के 900 से अधिक केंद्रों पर आयोजित यह परीक्षा रद्द करनी पड़ी।
उत्तराखंड में सबसे सख्त कानून है-
उत्तर प्रदेश ही एक ऐसा इकलौता राज्य नहीं है जिसने नकल पर नकेल कसने के लिए समय-समय पर कानून बनाए हैं। कई ऐसे राज्य हैं जो नकल पर नकेल कसने के लिए समय-समय पर कानून बनाते रहे हैं। वहीं उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां पर नकल के अपराध से जुड़े कानून सबसे सख्त हैं। वहां इसी साल बीजेपी सरकार ने अध्यादेश जारी किया है जिसमें दोषी को आजीवन कारावास और 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन यह कानून केवल सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं में होने वाली नकल पर ही लागू होता है, स्कूली परीक्षा पर नहीं होगा।
हरियाणा में सात साल की सजा-
हरियाणा में पेपर लीक में दोषी को 7 साल तक सजा हो सकती है और अगर नकल संगठित तरीके से हुई हो तो उसमें 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। यही नहीं राज्य के कानून में नकल के कारोबार से अर्जित धन से खरीदी गई संपत्ति को कुर्क करने का भी प्रावधान है।
आंध्र में तीन से सात साल की सजा-
वहीं आंध्र प्रदेश में परीक्षा में ‘‘अनुचित तरीकों‘‘ के इस्तेमाल के दोषियों को तीन से सात साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
राजस्थान में तीन साल की जेल और जुर्माना-
राजस्थान में पेपर लीक करने वाले को तीन साल जेल और जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
जम्मू कश्मीर में दो साल की सजा-
जम्मू कश्मीर में परीक्षा में ‘‘अनुचित तरीकों‘‘ के इस्तेमाल के लिए अधिकतम दो साल की सजा और ज्यादा से ज्यादा दो हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। वहीं छत्तीसगढ़ में पेपर लीक करने वाले को एक साल की सजा का प्रावधान है, लेकिन अगर नकल से जुड़ा कोई जघन्य अपराध होता है तो उसकी सजा 5 साल तक हो सकती है।
नकल पर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग सजा का प्रावधान है।
उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग का प्रस्तावित मसौदा सरकार कब अमल में लाएगी यह तो कहा नहीं जा सकता, लेकिन यह कहा जा सकता है कि यह मसौदा अमल में आने के बाद नकल करने वालों की खैर नहीं होगी। इस में जो सजा का प्रावधान है उससे नकल करने वालों के होश उड़ जाएंगे।