बरेली: पाकिस्तान की लीलाबाई ने भारत में शादी करने के 24 साल बाद आखिर नागरिकता पाने की जंग जीत ली। जब मीडिया ने इनके परिवार का दर्द प्रमुखता से प्रकाशित किया और सुर्खियों में बनाए रखा। इसके बाद गृह मंत्रालय हरकत में आया और लीलाबाई को चिट्ठी भेजकर सूचना दी कि उनकी नागरिकता का प्रमाण पत्र लखनऊ भेजा जा रहा है। वहां से जिला प्रशासन के माध्यम से उन्हें यह प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
कहा मीडिया को धन्यवाद
-इसकी जानकारी होते ही बीसलपुर रोड स्थित लीलाबाई के घर में खुशियों का माहौल छा गया।
-भरी आंखों से लीलाबाई ने बताया कि एक साल पहले उनके भाई को पाकिस्तान में उपद्रवियों ने गोली मार दी थी।
-हालांकि वे इलाज कराकर ठीक हो गए, मगर उन्हें देखने आज तक नहीं पहुंच पाई।
-पाकिस्तान की नागरिकता त्याग दी थी।
-भारत की भी नागरिकता मिलने में दांत खट्टे हो गए।
-उन्होंने मीडिया को धन्यवाद कहा।
हताश हो गए थे दंपति
-लीलाबाई ने बताया कि पाकिस्तान की नागरिकता त्यागने का मूल प्रमाण पत्र नियमानुसार गृह मंत्रालय में 23 दिसंबर 2015 को जमा कर दिया था।
-फिर भी गृह मंत्रालय से 26 मार्च को पत्र आ गया कि मूल प्रमाण पत्र जमा करो।
-जबकि उनके पास प्रमाण पत्र जमा करने की रिसीविंग भी थी।
-यह मुद्दा जब अखबारों में उछला, तो गृह मंत्रालय की ओर से भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र जारी कर दिया।
-इसके बाद भारत सरकार के अंडर सेक्रेटरी इप्सिता साहा पॉल ने उतर प्रदेश गृह-वीजा विभाग को पत्र लिखकर प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने की बात कही है।
-साथ ही पत्र की कॉपी लीलाबाई और नरेंद्र कुमार को भी भेजी है।
नरेंद्र कुमार बन गए मानसिक रोगी
-24 साल से सरकारी अफसरों के चक्कर काट-काटकर लीलाबाई के पति नरेंद्र मानसिक बीमारी का शिकार हो गए।
-कारोबार ठप हो गया था और घर भी बेचना पड़ा।
-अब किराए के मकान में रहकर गुजारा कर रहे हैं।
- नागरिकता मिलने पर अब राहत मिली है।
ये 16 भी लौटेंगे पाकिस्तान से हिंदुस्तान
-लंबे समय से पाकिस्तानी होने का दंश झेल रहे तमाम परिवारों में से कुछ के लिए राहत भरा फैसला हुआ है।
-खुफिया इकाइयों ने जांच करके उनके 15 साल से अधिक समय से भारत में रहने की पुष्टि कर दी है।
-इन लोगों को भारतीय नागरिकता पाने की दिशा में एक बड़ा रोड़ा खत्म हो गया है।
-अब राज्य व केंद्र सरकार की मुहर लगना शेष है।
कब शुरू हुआ नागरिकता पाने का प्रयास
-शहर के सिंधुनगर समेत तमाम इलाकों में ऐसे लोग रह रहे हैं, जो आजादी के बाद पाकिस्तान से आकर भारत में रहने लगे।
-कुछ उनके रिश्तेदार भी थे, जो बाद में आकर भारत में बस गए और यहां से वापस नहीं गए।
-समय के साथ ही उनके पासपोर्ट की वैधता खत्म हो गई, कुछ के पासपोर्ट खो गए।
-इसके साथ ही उन लोगों का भारतीय नागरिकता पाने का प्रयास शुरु हुआ।
-कभी एलआइयू ऑफिस, तो कभी प्रशासनिक अधिकारियों के ऑफिस में दौड़ते रहे।
-मगर उनके हर प्रयास को नाकामी हाथ लगी।
-पिछले दिनों यह मामला जब मीडिया में सुर्खियां बना, तो एलआइयू कार्यालय में जिला प्रशासन के जरिए कैंप लगाया गया।
एलआइयू ऑफिस के कैंप में 42 लोगों ने किया था आवेदन
-कैंप में कुल 42 लोगों ने आवेदन किया।
-इनमें से 16 लोगों की जांच पूरी करके प्रदेश सरकार को भेज दिया है।
-नगेंद्र चतुर्वेदी डिप्टी एसपी एलआइयू के अनुसार कैंप में कुल 42 आवेदन आए थे।
-सभी की जांच करके शासन को भेज दी गई है।
-कुछ लोग ऐसे भी है, जिनका पासपोर्ट एक्सपायर हो गया या खो गया।
-उनके संबंध में दिशा-निर्देश मांगा गया है।