कोर्ट ने बिजली विभाग को करंट से हाथ-पैर गंवा चुके बच्चों के कृत्रिम अंग लगवाने का दिया निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिजली विभाग को करंट लगने से अपने दोनों हाथ और पैर गंवा चुके दो बच्चों को साठ-साठ लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है।

Update: 2017-04-24 16:12 GMT
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लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिजली विभाग को करंट लगने से अपने दोनों हाथ और पैर गंवा चुके दो बच्चों को साठ-साठ लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने बिजली विभाग के प्रबंध निदेशक को बच्चों के कृत्रिम अंग लगवाने के बावत महानिदेशक, स्वास्थ्य के साथ विचार विमर्श करने का भी आदेश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने दोनो बच्चों के अभिभावकों को भी चार-चार लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश बिजली विभाग को दिया है।

घटना को हृदय विदारक बताते हुए कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हम इन बच्चों को मात्र वित्तीय हानि के लिए मुआवजा दिला सकते हैं। वास्तव में, उनके शरीर की जो हानि हुई है, उसे कोई भी कोर्ट पूरा नहीं कर सकता।

यह आदेश जस्टिस एसएन शुक्ला और जस्टिस एसके सिंह प्रथम की बेंच ने यशपाल सिंह (12) और अंकित कुमार यादव (14) की याचिका पर दिए। फैसले में कोर्ट ने बिजली विभाग के प्रबंध निदेशक को विशेषज्ञों और इंजीनियरों की एक टीम बनाकर रिपोर्ट तैयार कराने के भी आदेश दिए। जिसमें बिजली से होने वाले हादसों को कम करने के उपाय बताए जाएं। कोर्ट ने कहा कि आबादी के नजदीक से गुजरने वाले हाई टेंशन लाइन के संबंध में सुरक्षात्मक उपाय किए जाएं।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि रामा डिग्री कॉलेज को सप्लाई देने के लिए वहां 11 केवी की लाइन लगाई गई थी। जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध भी किया था। कोर्ट के आदेश पर निदेशक, विद्युत सुरक्षा ने अपनी जांच में पाया कि हाई टेंशन लाइन लगाने में नियमों की अवहेलना की गई।

क्या है मामला?

जून 2011 में दोनों बच्चों के साथ बिजली विभाग की लापरवाही की वजह से हादसा हुआ था। बच्चे चिनहट थानांतर्गत गौरव विहार कॉलोनी में शाम को खेल रहे थे। इसी दौरान वे 11 केवी की ट्रांसमिशन लाइन की चपेट में आ गए।

जो कॉलोनी के ही एक घर को छूती हुई गुजर रही थी। बच्चों को आनन-फानन में ट्रामा सेंटर ले जाया गया। जहां यशपाल और अंकित के दोनों हाथ और एक-एक पैर डॉक्टरों को काटने पड़े।

बच्चों की ओर से बिजली विभाग से मुआवजा देने की अपील की गई, लेकिन विभाग ने इंकार कर दिया। यही नहीं बच्चों के अभिभावकों ने तत्कालीन बिजली मंत्री से भी फरियाद की, लेकिन वह भी अनसुनी कर दी गई। जबकि अंकित यादव के परिवार की स्थिति काफी कमजोर है। उसके पिता की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। घर में मां और दो बहनें हैं। कमाई का कोई स्त्रोत नहीं है।

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