राजधानी की कब्रगाहों में तीन गुना ज्यादा शव, बढ़ गए कब्र की खुदाई के रेट
बढ़ते मौतों के ग्राफ से कब्रिस्तानों की व्यवस्था प्रभावित हुई है। सामान्य दिनों के मुकाबले इन दिनों अधिक मय्यतें आ रही हैं
लखनऊ: कोविड की दूसरी लहर में इस कदर मौतें हो रही हैं कि अब अंतिम संस्कार में दिक्कतें आनी शुरू हो गई हैं। शहर में बढ़ते मौतों के ग्राफ से श्मशान से लेकर कब्रिस्तानों तक की व्यवस्था प्रभावित हुई है। राजधानी के प्रमुख कब्रिस्तानों में सामान्य दिनों के मुकाबले इन दिनों कहीं अधिक मय्यतें आ रही हैं। जिससे लगातार गड्ढे खुदवाए जा रहे हैं, क्योंकि कोरोना संक्रमित लाशों को दफनाने के लिए गहरे गडढे खोदे जाते हैं इसलिए खुदाई का रेट भी बढ़ गया है।
हालात यह हैं कि जिन कब्रिस्तानों में औसतन दो-चार, दस मय्यतें दफन होने आती थीं वहां पर इस समय तांता लगा हुआ है। शहर के सबसे बड़े कब्रिस्तान ऐशबाग की बात करें दो पिछले दो हफ्ते में यहां 210 मय्यतों को दफनाया गया है। इनमें 14 शव संक्रमित थे जिन्हें दूसरी जगह गहरा गडढा खोदकर दफनाया गया। कब्रिस्तान के लोगों का कहना है कि इस समय इस कब्रिस्तान में प्रतिदिन 25 से 30 लाशें आ रही हैं। उनका कहना है कि संक्रमित शवों को दफनाने के लिए अलग जगह बनाई गई है। इसके अलावा इन शवों को गहरे गडढे खोदकर दफनाया जा रहा है।
लखनऊ के कब्रिस्तान का हाल
यही हाल डालीगंज कब्रिस्तान का है जहां सामान्य दिनों में महीने में 20 से 25 मय्यतें आती थी लेकिन अप्रैल महीने में अब तक 40 से अधिक लोगों को यहां सिपुर्द ए खाक किया जा चुका है। कब्रिस्तान के जिम्मेदार का कहना है कि मय्यतों के आने की रफ्तार दो गुने से अधिक तेज है। निशात गंज कब्रिस्तान में भी पिछले दो हफ्ते में 23 मय्यतें दफन हो चुकी हैं जबकि सामान्य दिनों में यहां एक महीने में दस -12 मय्यतें दफन होने आती थीं। खदरा कब्रिस्तान का भी यही हाल है यहां भी अब तक 29 शव दफनाए जा चुके हैं जबकि सामान्य दिनों में यहां भी दस -12 मय्यतें दफन होने आती थीं। हैदरगंज कब्रिस्तान में भी महीने में दस बारह मय्यतें दफन हुआ करती थीं लेकिन अब रोजाना दस-12 मय्यतें दफन होने आ रही हैं।
कुल मिलाकर देखा जाए तो राजधानी के कब्रगाहों में दो से तीन गुना तक मय्यतों की संख्या बढ़ गई है। जिसके चलते कब्र खोदने वाले बढ़ाए गए हैं और कब्र खोदना भी महंगा हो गया है। कब्र खुदाई का रेट 500 से बढ़कर 800 हो गया है।