नोटबंदी से यूपी सरकार को राहत, CRIME GRAPH गिरा, डेंगू और चिकुनगुनिया भी चर्चा से बाहर

रिटायर्ड आईएएस अफसर अनिल कुमार गुप्ता ने हैरानी जताते हुए कहा है कि 8 नवम्बर के बाद चिकुनगुनिया और डेंगू के बारे में कहीं समाचार नहीं है। जबकि अस्पतालों में अभी भी चिकुनगुनिया और डेंगू के मरीजों की भरमार है। पर उनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।

Update: 2016-12-03 07:24 GMT

लखनऊ: बीते 8 नवम्बर को केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले पर पूरे देश में चर्चा जारी है। चाय की दुकानों से लेकर एटीएम और बैंकों की लाइनों में खड़े लोग इसके पक्ष और विपक्ष में तर्क दे रहे हैं। पर इससे यूपी सरकार को खूब राहत मिली है। इस फैसले के पहले राज्य भर में डेंगू और चिकुनगुनिया जैसे रोगों ने कहर बरपा रखा था। इसे महामारी तक घोषित करने की कवायद चल रही थी। पर नोटबंदी के फैसले के बाद सामाजिक तस्वीर बदली नजर आ रही है। अब डेंगू और चिकुनगुनिया सरीखे रोग अचानक गायब से हो गए हैं और बैंकों और एटीएम की लाइन में खड़े लोगों की मौतों की खबरें आ रही हैं।

पुलिस अधिकारी मान रहें गिरा क्राइम का ग्राफ

-यूपी को ला एंड ऑर्डर के लिहाज से देखा जाए तो पुलिस अधिकारियों का भी कहना है कि नोटबंदी के बाद राज्य में क्राइम का ग्राफ गिरा है।

-लूटपाट समेत अन्य आपराधिक घटनाओं में कमी आई है।

-इस समय अपराधियों में आयकर विभाग के शिकंजे का खौफ है।

-पुलिस भी आराम फरमा रही है। इस समय उन्हें सिर्फ अपने इलाके में पड़ने वाले बैंक और एटीएम पर कानून व्यवस्था संभालनी पड़ती है।

डेंगू-चिकुनगुनिया के गायब होने पर हैरानी

-रिटायर्ड आईएएस अफसर अनिल कुमार गुप्ता ने हैरानी जताते हुए कहा है कि क्या किसी ने नोटिस किया है कि 8 नवम्बर के बाद चिकुनगुनिया और डेंगू के बारे में कहीं समाचार नहीं है।

-जबकि अस्पतालों में अभी भी चिकुनगुनिया और डेंगू के मरीजों की भरमार है। पर उनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।

पॉलिटिकल तस्वीर भी बदली

-अब इलाज में सरकारी डॉक्टरों की लापरवाही नहीं बल्कि इलाज के लिए समय से पैसा न निकल पाने से मौत की बात कही जा रही है।

-विपक्ष का दावा है कि प्रदेश भर में नोटबंदी के असर से 80 से ज्यादा मौतें हुई हैं।

-प्रदेशों में क्षेत्रीय राजनीति बदली-बदली सी नजर आ रही है। आलम यह है कि इस मुददे पर मौजूदा समय में पूरा विपक्ष एकजुट हो गया है।

-नोटबंदी को लेकर यूपी सरकार भी केंद्र पर हमलावर है।

खबरों को लेकर बदली लोगों की रूचि

-देखा जाए तो नोटबंदी के बाद से खबरों का पैटर्न भी बदल गया है।

-यदा-कदा खबरों में रहने वाले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हर कदम पर अब सवा सौ करोड़ लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं।

-नोटबंदी के बाद अब लोगों की दिलचस्पी इंटरनेट, टीवी चैनल, समाचार पत्र और पत्रिकाओं में इसी मुद्दे से जुड़ी खबरों में दिखाई दे रही है।

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