वाराणसी। लोकनायक जय प्रकाश नारायण के गांव जेपी नगर सिताब दियारा से साइकिल से चल कर दो जुझारू साइकिल यात्री भरत यादव और प्रेमनाथ गुप्ता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने निकले हैं। इनका मकसद जेपी और शहीद शिवपूजन राय के गांव शेरपुर सेमरा सहित दर्जनों गांवों को गंगा और घाघरा के कटाव से बचाने के लिए गुहार लगाना है। इनके पास पीएम को अपना वादा याद दिलाने के लिए 5100 लोगों के सिग्नेचर वाला एक लेटर है, जो वे पीएम मोदी को सौंपेंगे। ये दोनों साइकिल यात्री बुधवार की शाम वाराणसी पहुंचे।
एक पीढ़ी 3-4 बार होती है विस्थापित
वाराणसी के कैथी गांव पहुंचकर इन दोनों ने अपनी व्यथा बताई। वर्तमान में एक दर्जन और गांव कटान के संकट से जूझ रहे हैं। एक पीढ़ी को 3 से 4 बार तक अपने निवास को छोड़ना पड़ता है। साइकिल यात्री और गांव बचाओ आंदोलन के संयोजक प्रेमनाथ गुप्ता ने बताया कि गाजीपुर जिले के सेमरा, शिवराय का पूरा, बच्छलपुर, पुरैना सहित बलिया जनपद के जगदीशपुर, नरदरा, भुसौला, श्रीनगर, दुर्जनपुर, रिक्नी छपरा आदि गांव आज गंगा और घाघरा में पूरी तरह डूब हो चुके हैं।
इसके अलावा रामगढ़, तेलिया टोला, नारायण पुर, पचरुखिया, गंगा पुर, मझौवा, दतहा, भोपाल पुर, आसमानपुर, घुरी टोला आदि भी इससे प्रभावित हुए हैं। हजारों एकड़ जमीन रेतीली, परती और बंजर हो गई है। इस कटान से लाखों लोग प्रभावित हुए हैं।
प्लास्टिक शेड या झोपड़ी में गुजर रहा है जीवन
-उन्होंने बताया कि इस समस्या से गाँव के लोगों को बचाने के लिए सरकार की कोई स्पष्ट नीति नहीं है।
-लोग बेघर होकर प्लास्टिक शेड या झोपड़ी में रह रहे हैं।
-साथ में उनका कहना है कि किसी समय के अच्छे किसान परिवार भी आज बंजारों जैसा जीवन गुजारने के लिए मजबूर हैं।
-दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए मजदूरी कर रहे हैं।
पीएम ने किया था वादा कटान से बचाने का
-दूसरे साइकिल यात्री भरत यादव ने बताया कि लोक सभा चुनाव के समय पीएम मोदी ने अपनी पूर्वांचल की चुनाव सभाओं में वादा किया था।
-उन्होंने कहा था कि बाढ़, कटान से प्रभावित होने वाले लोगों के लिए पुनर्वास की नीतियां बनाई जाएंगी।
-हम उन्हें उनका वादा याद दिलाने के लिए निकले हैं।
-कटान प्रभावित क्षेत्र के 5100 लोगों के साइन वाला लेटर प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय में 8 अप्रैल को सौंपेंगे।
बनारस भी झेल राह है कटान का दंश
-सोशल एक्टिविस्ट वल्लभाचार्य पांडे ने बताया कि वाराणसी का कैथी इलाका भी गोमती नदी के कटान का दंश झेल रहे हैं।
-कैथी गांव की 1000 एकड़ उपजाऊ जमीन 1984 के गोमती नदी की कटान के कारण कट कर नदी के दूसरी ओर चली गई।
-तब से आज तक दो वाराणसी और गाजीपुर के बीच सीमा विवाद में उलझ कर खेती बंद है और जमीन बेकार पड़ी है।
-उन्होंने बताया कि नदियों की धारा बदलने और बाढ़ के कारण कटान से वाराणसी मंडल के सभी जिलों सहित आजमगढ़, बस्ती, महराजगंज के लोग प्रभावित हुए हैं।
-इसके अलावा सीतापुर, गोंडा, श्रावस्ती, बहराइच, देवरिया, मऊ, गोरखपुर आदि जिलों के लोग भी समस्या से जूझ रहे हैं।
-उन्होंने मांग रखी कि उनके सम्मानजनक पुनर्वास के लिए प्रभावी नीति बनना और उसका लागू होना जरूरी है।