लखनऊः बाबा साहब भीमराव अंबडेकर यूनिवर्सिटी में नॉनवेज बैन की अफवाहों का मामला शांत नहीं हुआ था कि रिजर्वेशन के मामले ने तूल पकड़ लिया। बीबीएयू के एससी/एसटी स्टूडेंट्स ने ओबीसी संगठनों की ओर से रिजर्वेशन को लेकर किए गए रिट का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया। इस बीच प्रॉक्टर कमल जायसवाल ने रिजाइन कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
बीबीएयू में रिजर्वेशन को लेकर अलग प्रावधान है। इसके तहत एससी/एसटी स्टूडेंट्स को प्रवेश में 50 फीसदी रिजर्वेशन मिलता है। ओबीसी के लिए कोई रिजर्वेशन नहीं है। संविधान के प्रावधानों का हवाला देते हुए इसकी मांग ओबीसी स्टूडेंट्स और कई संगठन पहले से करते आ रहे हैं। इसी के संदर्भ में हुए रिट के बाद ये बाद बवाल हुआ। अब ये मामला कोर्ट में है।
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-बीबीएयू में रिजर्वेशन को लेकर दलित स्टूडेंट्स ने यूनिवर्सिटी में धरना प्रदर्शन किया।
-प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स ने दलितों के रिजर्वेशन का विरोध कर रहे स्टूडेंट्स को बर्खास्त करने की मांग की।
-ओबीसी रिजर्वेशन को लेकर यूनिवर्सिटी में हमेशा से स्टूडेंट्स के बीच तनाव की स्थिति रही है।
क्यों है बवाल
-संविधान के अनुसार, ओबीसी कैटेगरी को 27 प्रतिशत, एससी कैटगरी को 15 प्रतिशत और एसटी कैटगरी को 7.5 प्रतिशत रिजर्वेशन मिलना चाहिए।
-संसद द्वारा पारित बीबीएयू एक्ट के तहत यूनिवर्सिटी में एससी/एसटी कैटगरी के स्टूडेंट्स को प्रवेश में 50 फीसदी रिजर्वेशन दिया जाता है।
-इसके खिलाफ ओबीसी संगठनों ने एक रिट फाइल की है।
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यूनिवर्सिटी का पक्ष
-रिजाइन करने से पहले बीबीएयू के प्रॉक्टर कमल जयसवाल ने newztrack को बताया कि ये मामला अब हाईकोर्ट में है।
-कोर्ट का फैसला ही अंतिम निर्णय होगा।