Kanpur News: कानपुर का दशानन मंदिर, जहाँ विजयादशमी के दिन होती है रावण की पूजा

Kanpur News: दशहरे के त्यौहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। सूरज ढलने के बाद आतिशबाज़ी के साथ रावण दहन किया जाएगा। लेकिन कानपुर के इस मंदिर में आज लंका नरेश की विधिवत पूजा होती है।

Written By :  Anup Pandey
Update:2023-10-24 11:37 IST

कानपुर का दशानन मंदिर (न्यूजट्रैक)

Kanpur News: विजयादशमी यानी दशहरे के त्यौहार मंगलवार को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी के रूप में मनाया जाता है। देश में आज रामलीला का मंचन चल रहा है और सूरज ढलने के बाद आतिशबाज़ी के साथ-साथ रावण के पुतले को जलाया भी जाएगा। वहीं विजयादशमी के दिन कानपुर नगर का एक ऐसा स्थान जहां रावण का दहन नहीं बल्कि उसकी विधिवत पूजा होती है।


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साल में एक ही दिन खुलते ही मंदिर के कपाट

कानपुर शहर के बीचो-बीच स्थित कैलाश मंदिर परिसर में दशानन (रावण) का मंदिर है। 1868 में इस मंदिर का निर्माण महाराज गुरु प्रसाद के द्वारा हुआ था। हर साल की तरह आज भी सुबह-सुबह इस मंदिर के पट खोल दिये गए हैं। विशेषता यह है कि यह मंदिर पूरे साल में सिर्फ एक ही दिन खुलता है और वह केवल दशहरे का दिन। मंदिर के कपाट खुलने के बाद यहां रावण की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। इसके पीछे का श्रद्धालुओं का तर्क यह है कि चूंकि रावण विद्वान था और पराक्रमी भी। उसे दसों महाविद्याओं का पंडित भी कहा जाता है। इसलिए उसकी विद्वता और पराक्रम के गुणों की पूजा अर्चना की जाती है।


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कुछ लोगों का यह भी मानना है कि आज के दिन जो भी व्यक्ति रावण की पूजा करता है उसे विद्या और पराक्रम दोनों एक साथ मिल जाता है। आज के दिन हम रावण को उसके बुरे स्वरुप को याद कर उसका पुतला फूंकते हैं। उसकी अच्छाइयों पर किसी की निगाह नहीं जाती। रावण के मरते समय भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा था कि जाओ विश्व के महान पंडित का आशीर्वाद लो, उनके चरण स्पर्श कर ज्ञान लो। भगवान श्रीराम थे जिन्होंने अपने शत्रु के प्रति भी आदर दिखाया था। उसके दुर्गुणों की वजह से उसका अंत किया पर उसकी विद्वता का भी मान रखा था। उसी परंपरा का निर्वहन आज कानपुर के ये श्रद्धालु भी कर रहे हैं।


सुबह से ही मंदिर में हो जाती है भीड़

रात से ही मन्दिर में साफ-सफाई का कार्य चालू हो जाता है। वहीं सुबह होते ही मन्दिर के पट खुल जाते है। मन्दिर खुलने से पहले भक्तों की भीड़ लग जाती है। मंदिर में पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालु प्रसाद चढ़ाकर आरती लेते है।

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