काशी में सदियों पुरानी परंपरा टूटी, बेटियों ने किया पिता का अंतिम संस्कार

Update: 2016-11-04 03:43 GMT

वाराणसीः हिंदू परंपरा में बेटा ही पिता के शव को कांधा और मुखाग्नि दे सकता हैं, लेकिन मोक्ष की नगरी काशी में रहने वाली 4 बेटियों ने इस परंपरा को तोड़ दिया। इन बेटियों ने अपने पिता के शव को कांधा देकर श्मसान घाट पहुंचाया और उनका अतिंम संस्कार भी किया।

बेटियों ने कायम की मिशाल

वाराणसी की रहने वाली इन बेटियों ने एक नया मिशाल कायम किया। बड़ी बेटी गरिमा जो राजस्थान के भरतपुर में सीडीओ है। उन्होंने हमें बताया की वो किसी ऐसे शास्त्र को नहीं मानती जो बेटे और बेटी में फर्क करता हो हमारे पिता ने कभी फर्क नहीं किया। हम पांच बहने हैं और हमारा सौभाग्य है की हमें अपने पिता का अतिंम संस्कार करने का मौका मिला है।

पिता ने बनाया इस काबिल

इस पिता का शरीर भले ही अब जीवित न हो पर जिसकी पांच बेटियां इस काबिल हो की वो रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ अपने पिता को मोक्ष दिला सके। ऐसी बेटियों पर किसे नाज नहीं होगा बीएचयू से एमएससी कर रही राम्या कहती है कि उन्होंने हमें कभी बेटा नहीं समझा बल्कि बेटी के तौर पर ही इस काबिल बनाया की हम किसी से कम न रहे और आज हम अपने पिता के जाने के बाद वो सभी कार्य कर रहे है जो एक बेटा करता है।

पड़ोसियों ने भी सराहा

बेटियों के इस कदम से खुद उनके परिजन और पडोसी भी बेहद खुश है। उनका कहना है कि इन बेटियों ने आज बेटो से भी बढ़कर काम किया है। गलत परंपराओं को तोड़ते हुए उनका ये कदम बेहद सराहनीय है। अपने पिता को मोक्ष द्वार तक ले जाने से बड़ा दूसरा कोई नेक रास्ता नहीं।

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