लखनऊ : पिछले दो हफ्ते से यूपी की सियासत में भूचाल मचाने वाले दयाशंकर सिंह 'गाली कांड' का भले ही आधा-अधूरा पटाक्षेप हो गया हो, लेकिन उनकी गिरफ्तारी में एसटीएफ की कामयाबी से ज्यादा उनके किसी करीबी की बेवकूफी के चर्चे हैं। शक ये भी जताया जा रहा है कि किसी ने जान-बूझकर दयाशंकर का मोबाइल नंबर एसटीएफ टीम को उपलब्ध करवाया।
चर्चा इस बात की भी है कि पुलिस की मदद दयाशंकर सिंह के किसी बेहद करीबी ने ही दी है। इसके पीछे का मकसद ये हो सकता है कि गिरफ्तार को लेकर होने वाले तामझाम पर पानी फेरा जा सके।
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प्लान हुआ चौपट
जानकारों की मानें तो दयाशंकर सिंह के पास सरेंडर करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। पुलिस और एसटीएफ की कई टीमें लगातार उनके संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही थी। लेकिन दयाशंकर सिंह अपने सरेंडर या गिरफ्तारी को बेहद यादगार बनाना चाहते थे। इसके लिए तैयारी जोरों पर थी। इसी बीच दयाशंकर के बेहद करीबी ने उन्हें अरेस्ट करने में जुटी टीमों को वह नंबर उपलब्ध करवा दिया जिसका इस्तेमाल वो कर रहे थे। इसके बाद क्या था। सर्विलांस की मदद से एसटीएफ और पुलिस की टीमें उन तक पहुंच गई और उनका पूरा प्लान चौपट हो गया।
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संगीत सोम जैसी गिरफ्तारी चाहते थे
जानकारों की मानें तो दयाशंकर सिंह अपनी गिरफ्तारी को राजपूतों की अस्मिता से जोड़कर उसका राजनैतिक लाभ लेना चाहते थे। इसलिए वे अपनी गिरफ्तारी को बेहद यादगार बनाना चाहते थे। योजना के मुताबिक वे पूर्वांचल के किसी जिले से अपनी गिरफ्तारी कुछ इस अंदाज में देना चाहते थे जैसे सीडी कांड में संगीत सोम ने दी थी। उनकी योजना थी जिस समय उन्हें पुलिस गिरफ्तार करके ले जाए तो पूरे पूर्वांचल के राजपूतों का वहां जमावड़ा हो और इस पूरे मामले को मीडिया कवरेज दे। लेकिन उनके करीबी ने उनका यह प्लान चौपट कर दिया।
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