कृष्ण की मृत्यु: ये शरारत पड़ी थी भगवान को महंगी, नहीं जानते होंगे आप

भगवान् श्री कृष्ण के जन्म के बारे में तो हम सभी जानते हैं लेकिन क्या आप ने कभी ये जानने कि कोशिश की , कि भगवान् श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई होगी? शायद ये सवाल आपके मन में भी आया हो।

Update: 2020-08-28 13:01 GMT
महाभारत युद्ध का दृश्य (file photo)

भगवान् श्री कृष्ण के जन्म के बारे में तो हम सभी जानते हैं लेकिन क्या आप ने कभी ये जानने कि कोशिश की , कि भगवान् श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई होगी? शायद ये सवाल आपके मन में भी आया हो। अगर आपके मन में भी ये सवाल काफी समय से चल रही हो तो आज हम आपको बताएंगे कि आखिर कब और कैसे भगवान् की मृत्यु हुई।

कई वर्षों द्वारिका पर राज किया

श्री कृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व में हुआ था। इनकी कहानियां तो हम सभी बचपन से सुनने आ रहे है कि श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था, लेकिन उनका बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगांव, बरसाना और द्वारिका आदि जगहों पर बीता। महाभारत युद्ध के बाद भगवन ने 36 वर्ष द्वारिका पर राज किया। जिसके बाद उन्होंने अपने शरीर को त्याग दिया। तब उनकी उम्र लगभग 125 वर्ष थी।

महाभारत यौध के वक़्त जब दुर्योधन का अंत हुआ तब गांधारी अपने बेटे को खोने का शोक व्यक्त करने रणभूमि में गई । और उसी वक़्त उन्होंने भगवान् श्री कृष्ण को अपने पुत्रों की मृत्यु का बदला लेते हुए 36 वर्षों के बाद मृत्यु का शाप दे दिया। ये सुन कर भी भगवान् श्री कृषण मुस्कुराते रहे। ठीक 36 साल बाद उनकी मृत्यु एक शिकारी के हाथों हो गई।

शरारत पड़ी महंगी

भगवत पुराण में लिखा है कि एक बार श्रीकृष्ण के पुत्र सांबा को एक शरारत सूझी। वो एक स्त्री का वेश धारण कर अपने दोस्तों के साथ ऋषि-मुनियों से मिलने गए। स्त्री के वेश में सांबा ने ऋषियों से कहा कि वो गर्भवती है। जब उन यदुवंश कुमारों ने इस प्रकार ऋषियों को धोखा देना चाहा तो वो क्रोधित हो गए और उन्होंने स्त्री बने सांबा को शाप दिया कि तुम एक ऐसे लोहे के तीर को जन्म दोगी, जो तुम्हारे कुल और साम्राज्य का विनाश कर देगा।

ये सुनते ही सांबा बहुत डर गए, जिसके बाद उन्होंने इस घटना को जाकर उग्रसेन को बताई, जिसके बाद उग्रसेन ने सांबा से कहा कि वे तीर का चूर्ण बनाकर प्रभास नदी में प्रवाहित कर दें, इस तरह उन्हें उस शाप से छुटकारा मिल जाएगा। उग्रसेन ने ये भी आदेश दिया कि यादव राज्य में किसी भी प्रकार की नशीली सामग्रियों का ना तो उत्पादन किया जाएगा और ना ही वितरण होगा।

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अशुभ संकेतों का अनुभव हुआ

कहा जाता है कि इस घटना के बाद द्वारका के लोगों ने कई अशुभ संकेतों का अनुभव किया, जिसमें सुदर्शन चक्र, श्रीकृष्ण का शंख, उनका रथ और बलराम के हल का अदृश्य हो जाना शामिल है। इसके अलावा वहां अपराधों और पापों में बढ़ोतरी होने लगी।

द्वारिका में रहने के दौरान भगवान् के चारों ओर अपराध और पाप का माहौल व्याप्त हो गया। ये देखकर श्रीकृष्ण बहुत दुखी हो गए . ये देख कर कृष्ण ने अपनी प्रजा से ये जगह छोड़कर प्रभास नदी के तट पर जाकर अपने पापों से मुक्ति पाने को कहा। सभी ने उनकी बात को मानते हुए प्रभास नदी के तट पर गए, लेकिन वहां जाकर सभी मदिरा के नशे एक दूसरे से लड़ाई कर मारे गए।

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भगवान् की मृत्यु

बता दें, कि भगवान एक दिन पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे, तभी जरा नामक एक बहेलिए ने श्रीकृष्ण को हिरण समझकर दूर से उनपर तीर चला लिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इस तरह ऋषि के शाप के अनुसार समस्त यदुवंशियों का नाश भी हो गया था और गांधारी के शाप के अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद श्रीकृष्ण के 36 वर्ष भी पूरे गए थे।

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