कानूनी हक पर ही हो सकता है निर्देशः हाईकोर्ट

कोर्ट ने राजा बलवंत सिंह कालेज में सहायक सांख्यकी पद पर कार्यरत ए.के.जैन को सुपरवाइजरों के बराबर वेतन देने के न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द कर दिया है और कालेज के प्राचार्य व भारत सरकार की याचिका स्वीकार कर ली है।

Update: 2019-05-21 14:44 GMT
प्रतीकात्मक फोटो

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कोर्ट कानून के तहत जिसका अधिकार न हो ऐसे आदेश जारी करने की गलती नहीं कर सकती। किसी को विशेष कार्यप्रकृति के कारण विशेष वेतनमान दिया जा हा रहा है तो दूसरे समान पद पर कार्य करने वाले कर्मचारी समान वेतन की माग नहीं कर सकते।

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यदि किसी को उसके कानूनी अधिकार से वंचित किया जा रहा हो तो कोर्ट हस्तक्षेप कर सकती है किन्तु किसी को विशेष कारणों से दिये जा रहे अधिक वेतन अन्य कर्मियों को भी देने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।

कोर्ट ने राजा बलवंत सिंह कालेज में सहायक सांख्यकी पद पर कार्यरत ए.के.जैन को सुपरवाइजरों के बराबर वेतन देने के न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द कर दिया है और कालेज के प्राचार्य व भारत सरकार की याचिका स्वीकार कर ली है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाण्डिया की खण्डपीठ ने दिया है। भारत सरकार की तरफ से अधिवक्ता आर.सी.शुक्ल ने बहस की। इनका कहना था कि विपक्षी फील्ड आफिसर है और ए.के.जैन सहायक सांख्यकी पद पर है। जो वेतन विपक्षियों को मिल रहा है, वही वेतन जैन को पाने का कानूनी अधिकार नहीं है। विपक्षियों के कार्य को देखते हुए अधिक वेतन दिया जा रहा है जिसे दूसरों को नहीं दिया जा सकता।

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