RTE: गरीब बच्चों को निजी स्कूल नहीं दे रहे एडमिशन, जिला प्रशासन ने बोर्ड से लगाई गुहार
लखनऊ: राजधानी में राइट टू एजुकेशन के नियमों के तहत गरीब बच्चों को एडमिशन न देने वाले निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए जिला प्रशासन ने संबंधित बोर्डों से गुहार लगाई है। अपनी नाकामी छुपाने के लिए अब जिला प्रशासन दवारा सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने पत्र लिखकर एक्शन लेने की गुहार लगाई है।
शिक्षा विभाग के सूूत्रों की मानें तो यदि जिला प्रशासन चाहे तो खुद ही कठोर कार्यवाही कर गरीब बच्चों के एडमिशन के लिए निजी स्कूलों पर दबाव बना सकता है। लेकिन ऐसा करने से बेसिक शिक्षा विभाग खुद कतरा रहा है।
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8 स्कूलों के खिलाफ कार्यवाही को लिखा पत्र
-जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी ने बताया कि कुछ निजी स्कूलों ने राइट टू एजुकेशन के तहत एडमिशन लेने में ढिलाई बरती है।
-ऐसे में पहले चरण में एक सीबीएसई बोर्ड से एफिलिएटेड दिल्ली पब्लिक स्कूल, इंदिरानगर पर कार्यवाही के लिए सीबीएसई बोर्ड को लिखा गया है।
-इतना ही नहीं आईएससी बोर्ड के 7 निजी स्कूलों पर भी कार्यवाही के लिए लिखा गया है।
-बोर्ड के सचिव से आग्रह किया गया है कि या तो इन स्कूलों को दिए गए प्रवेशों को तुरंत लेने के आदेश जारी करें या फिर विधिक कार्यवाही करें।
आगे की स्लाइड में पढ़ें किन स्चूलों के खिलाफ बोर्ड को लिखी चिट्ठी ...
ये हैं वो सात स्कूल
-इन सात स्कूलों में सेंटर मैरी इंटरव्यू कॉलेज, राजाजीपुरम और मटियारी, सिटी इंटरनेशनल स्कूल इंदिरानगर, डॉ वीरेंद्र स्वरूप स्कूल महानगर, एक्जॉन मांटेसरी स्कूल, नवयुुग रेडियंस राजेंद्र नगर और सिटी मांटेसरी स्कूल की समस्त ब्रांच शामिल हैं।
-हमने बोर्ड से इन सभी स्कूलों पर आवश्यक विधिक कार्यवाही करने के लिए पत्र लिखा है।
-हमारा प्रयास है कि राइट टूू एजुकेशन के अंतर्गत दाखिलों की संख्या में लगातार इजाफा होता रहे।
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'बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़'
-आरटीई एक्टिविस्ट समीना बानो ने बताया कि इन 8 स्कूलों ने 119 एडमिशन रोके हुए हैं।
-गरीब बच्चों के पैरेंटस को धक्के देकर स्कूलों से भगा दिया जाता है।
-गरीब बच्चों के भविष्य के साथ निजी स्कूल खिलवाड़ कर रहे हैं।
-उन्हें लगता है कि ये बच्चे अच्छा परफार्म नहीं कर पाएंगे।
-लेकिन आरटीई केे तहत एडमिशन पाए बच्चाें ने काफी अच्छा परफार्म किया है।
-निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगनी ही चाहिए।