प्यार और तकरार! लिव-इन रिलेशन में फंस रहीं शादियां, किसी का शादी से इंकार तो कोई तोड़ने पर मजबूर

Live-in Relation: लिव-इन रिलेशन के चलते रिश्तों में न तो मजबूती बची है और न ही गंभीरता। युवतियों से लेकर शादीशुदा महिलाएं शिकायतें लेकर पुलिस के पास पहुंच रही हैं.

Written By :  Snigdha Singh
Update: 2024-07-02 09:17 GMT

Live-in Relation Effect (Photo: Social Media)

Live-in Relation Effect: आधुनिकता के दौर में नए-नए ट्रेंड अब के युवाओं के सिर चढ़ कर बोल रहे हैं। सोशल मीडिया की जिंदगी हो या फिर व्यक्तिगत जिंदगी दोनों ही दिखाने और मौज मस्ती तक ही सीमित कर रहे हैं। हाल ये है कि शादी जैसे पवित्र रिश्ते के लिए भी गंभीरता नहीं बची है। न्यूजट्रैक टीम बीते दिनों कई अलग अलग महिला थाने और आशा ज्योति केंद्र पहुंची। यहां शिकायतों की पन्ने हर दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। आंकड़ों को देखें तो बीते सालों में दहेज और प्रताड़ना से अधिक मामले एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर और लिव-इन रिलेशन के आने लगे हैं। ये समस्या शादी से पहले युवाओं के लिए तो हैं ही वहीं शादीशुदा लोग भी पीछे नहीं है।   

आशा ज्योति केन्द्र की अधीक्षिका बताती हैं कि पारिवारिक झगड़ों में एकाएक बदलाव आया है। कुछ समय पहले तक मनमुटाव और नासमझी के मामले आते थे। पिछले करीब एक-डेढ़ साल से शादीशुदा और गैर शादीशुदा दोनों के ही लिव-इन-रिलेशन में रहने के मामले आ रहे है। केन्द्र में बुलाकर शादी-शुदा दंपति का तो समझौता हो भी रहा लेकिन गैर शादी शुदा युवा समझौता करने के लिए तैयार नहीं है। पहले शादी का वादा देकर साथ रह रहे, फिर शादी से इनकार कर रहे है। ऐसे में आत्महत्या के प्रयास के मामले भी बढ़े हैं। काउंसर निर्मल बताती हैं कि इन दिनों एक सेंटर में रोजाना करीब 5-8 शिकायतें आ रही हैं जो पहले करीब दो-चार थीं।



अपर मिडिल क्लास के मामले सबसे अधिक

आशा ज्योति केन्द्र की पारिवारिक मामलों की काउंसलर राबिया ने बताया कि लिव-इन-रिलेशन के मामले मध्यम वर्गीय और उच्च मध्यम वर्गीय दोनों के आ रहे हैं, लेकिन सबसे अधिक संख्या उच्च मध्यम वर्गीय परिवारों की है। लिव-इन की वजह से 20 फीसदी दंपत्तियों ने तलाक फाइल कर अलग रहने का फैसला किया। 45 फीसदी मामलों में समझौता हुआ और 35 फीसदी मामले विचाराधीन है।

केस-1

नवाबगंज की रहने वाली लड़की कुछ दिन पहले प्रयागराज में रहकर वहां काम कर रही थी। वहां फेसबुक के माध्यम से रायबरेली के लड़के से दोस्ती हुई। लड़के ने शादी का वादा किया। प्रयागराज में दोनों लिव-इन में रहने लगे। लड़की गर्भवती हो गई तो लड़के ने शादी करने से इनकार कर दिया।

केस-2

पीरोड की रहने वाली महिला ने शिकायत दर्ज कराई है कि पति नोएडा में जॉब करते हैं। पिछले कई महीनों से घर में ही आपसी समझौते का प्रयास कर रही थी। लेकिन जब समझौता नहीं हुआ तो महिला हेल्पलाइन की मदद ली। रिश्ते में समझौते के लिए शिकायत दर्ज कराई।



क्या है लिव-इन रिलेशन का कानून

भारत में कोई काननू ऐसा नहीं है जो सीधे तौर पर लिव-इन रिलेशन को सम्बोंधित करता हो। सहमति से लिव-इन रिलेशन में रहना कोई अवैध भी नहीं है। इलाहाबाद न्यायालय ने यह भी कहा कि लिव-इन में रहने वाले जोड़ों के जीवन में उनके माता-पिता सहित कोई भी हस्तक्षेप नहीं कर सकता है और लिव-इन जोड़ों को भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार है, जहां वे शांतिपूर्वक और बिना किसी व्यवधान के रह सकते हैं। शीर्ष न्यायालय के अनुसार, एक पुरुष और एक महिला का साथ रहना 'जीवन के अधिकार' का हिस्सा है; इसलिए, लिव-इन रिलेशनशिप अब अपराध नहीं है। 

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