VVIP कार्यक्रम की सुरक्षा में करोड़ो खर्च का नहीं भुगतान, फिर कैसे रूके भ्रष्टाचार

UP के VVIP कार्यक्रम की सुरक्षा में करोड़ो खर्च का भुगतान नहीं होता है। सुरक्षा इंतजामात का जिम्मा लोक निर्माण महकमे को सौंपा जाता है। पर उनके पास इस काम के लिए कोई बजट नहीं होता है। पुलिस महकमे को खर्चों के लिए लोक निर्माण महकमे को धनराशि देने का नियम तय है।

Update: 2019-01-06 06:09 GMT

लखनऊ: UP के VVIP कार्यक्रम की सुरक्षा में करोड़ो खर्च का भुगतान नहीं होता है। सुरक्षा इंतजामात का जिम्मा लोक निर्माण महकमे को सौंपा जाता

है। पर उनके पास इस काम के लिए कोई बजट नहीं होता है। पुलिस महकमे को खर्चों के लिए लोक निर्माण महकमे को धनराशि देने का नियम तय है। पर पुलिस महकमा इस नियम पर कभी खरा नहीं उतरा। ऐसे में ठेकेदार को पेमेंट कैसे किया जाए। मेरठ के अधिशासी अभियंता निर्माण खण्ड (भवन) एसपी सिंह ने उप्र इंजीनियर एसोसिएशन के अध्यक्ष को पत्र लिखकर अपना यह दर्द जाहिर किया है।

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विभागीय अधिकारी होते हैं ब्लैकमेल

इंजीनियर एसपी सिंह ने उप्र इंजीनियर एसोसिएशन के अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि वीवीआईपी कार्यक्रम में सुरक्षा संबंधी काम लोक निर्माण

विभाग से कराए जाने का प्रावधान है। इस धनराशि की प्रतिपूर्ति पुलिस महकमे से कराए जाने का नियम है। पर पुलिस महकमा कभी भी इस राशि की

प्रतिपूर्ति नहीं करता है। महकमे के पास इसका कोई बजट नहीं होने की वजह से ठेकेदार को भुगतान संभव नहीं हो पाता। नतीजतन ठेकेदार, विभागीय

अधिकारियों को ब्लैकमेल करते हैं।

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एक तरफ कुआं, दूसरी तरफ खाई

अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि वीवीआईपी कार्यक्रम के आयोजन में हेलीपैड, स्वीस काटेज, मंच निर्माण, बैरीकेडिंग व जर्मन हैंगर आदि का

कार्य कराया जा रहा है। जिसमें एक से दो करोड़ तक का खर्च होत है। यदि खण्ड के कामों की बचत से भुगतान किया जाता है तो वित्तीय नियमों का

उल्लंघन होता है। यदि धनाभाव की वजह से वीआईपी काम करने में असमर्थता जाहिर की जाती है तो जिला प्रशासन और विभागीय अधिकारी परिणाम भुगतने की धमकी देते हैं। इससे खण्डीय अधिकारियों का मानसिक उत्पीड़न होता है।

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इंजीनियर ने सुझाए हैं ये विकल्प

इंजीनियर एसपी सिंह ने वीवीआईपी कार्यक्रम में होने वाले खर्च से उपजी विकट स्थितियों से निपटने के लिए सुझाव भी दिए हैं। जैसे—व्यवस्था में

आने वाले व्यय का खर्च पुलिस महकमा करे। यदि लोक निर्माण विभाग से ही सारी कार्यवाही करायी जानी है तो इसके लिए उसे बजट दिया जाए।

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