अलीगढ़ रेप कांड : जानिए भारत में क्यों बढ़ रही हैं बलात्कार की वारदातें, ये हैं 10 कारण
भारतीय समाज में महिलाओं की दयनीय स्थित उनके प्रति हो रही यौन हिंसा का सबसे बड़ा कारण है। महिलाएं अपने अधिकार से अंजान होती है। बचपन से ही उन्हें अपने घर में दबकर रहने की आदत पड़ जाती है।
लखनऊ: ‘बलात्कार’ यह शब्द खुद में एक हैवानियत भरा है। यह इन्सान के एक नीच स्वभाव को दर्शाता है। बलात्कार एक प्रवृति है। उसे चिन्हित करने, रोकने और उससे निपटने की दिशा में यदि हम सब एकमत होकर काम करें तो संभवतः इस प्रवृत्ति का नाश कर सकते हैं। आइए हम बताते हैं ये 10 कारण जिसके कारण होते है बलात्कार-
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महिलाओं की दयनीय स्थिति
भारतीय समाज में महिलाओं की दयनीय स्थित उनके प्रति हो रही यौन हिंसा का सबसे बड़ा कारण है। महिलाएं अपने अधिकार से अंजान होती है। बचपन से ही उन्हें अपने घर में दबकर रहने की आदत पड़ जाती है। उनकी यही मजबूरी समाज में उनकी स्थिति को दयनीय बना देती है। जिसके कारम वो अपने प्रति होने वाले अपराध की शिकायत किसी से नही कर पाती है।
महिला पुलिस की तादात कम होना
देखने में आया है कि रेप पीड़ित अधिकांश महिलाएं सिर्फ इसलिए शिकायत नहीं कर पाती क्योंकि वो पुलिस अधिकारियों द्वारा पूछे जाने वाले सवालों से घबराती है। महिला पुलिस की कमी के कारण शर्म के कारण महिलाएं अपने साथ हो रहे अत्याचार की शिकायत ही नहीं कर पाती है। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक दिल्ली में सिर्फ 7 प्रतिशत महिला पुलिस है जो सिर्फ चौकियों पर बैठती है।
VVIP सुरक्षा में जुटे हैं जवान
जनता की रक्षा करने वाले पुलिस आम आदमी की सुरक्षा के बजाए वीवीआईपी, नेताओं और अधिकारियों की सेवा में जुटी हुई है। दिल्ली में 84000 पुलिस जवानों में से सिर्फ एक तिहाई पुलिस वाले ही आम जनता की सुरक्षा में जुटे हुए है। ऐसे में महिलाएं कैसे सुरक्षित रह सकती है?
उत्तेजित कपड़ों को दोषी ठहरना
देश में बढ़ रही रेप की वारदातों के बाद जो मुद्दा जो सबसे ज्यादा उठकर आया वो महिलाओं के कपड़ो पर आदारित था। नेताओं, पुलिसवालों और अधिकारियों ने महिलाओं के उत्तेजक कपड़ों को उनके प्रति हो रहे हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया। 1996 में कराए गए एक सर्वें में 68 फीसदी लोगों ने माना कि महिलाओं के अश्लील और उत्तेजक कपड़े रेप के लिए जिम्मेदार है।
घरेलु हिंसा को दबाना रेप की बड़ी वजह
राइट्स ट्रस्ट लॉ ग्रुप के मुताबिक घरेलु हिंसा के मामले में भारत की स्थिति सबसे ज्यादा दयनीय है। भारतीय में अधिकांश लोग घरेलु हिंसा को अपराध नहीं मानते। यूनिसेफ की रिपोर्ट के 15 से 19 साल के 53 फीसदी लड़के और 57 फीसदी लड़कियां मानती है कि अपनी पत्नी को पीटना सही है। जब बच्चा हर में यही सब देख कर बड़ा होता है तो उसके लिए ये सब आम बात होती है और वो भी आगे जाकर यहीं सब करता है। उसकी नजर में महिलाओं की कोई ईज्जत नहीं होती है।
सुरक्षा की कमी होना
महिला और बाल कल्याण विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक समाज में महिलाओं के लिए सुरक्षा इंतजामों की कमी है। बस, रेलवे स्टेशन, पब, गलियां कुछ भी सुरक्षित नहीं है। सामाजिक जगहों पर भी महिलाएं असुरक्षित है।
महिलाओं को कलंकित होने का डर
रेप या यौन हिंसा जैसे अपराधों में महिलाओं को बदनाम होने का डर होता है। उन्हें लगाता है कि अगर वो इन सबके बारे में शिकायत करेंगी तो सामज उन्हें ही कलंकित करेगा। दरअसल हमारे कुछ नेताओं ने विवादास्पद बयानों को लेकर इस डर को बढ़ा भी दिया है। ऐसे में ज्यादातर महिलाएं अपने साथ हुई घटना को किसी को बिना बताए ही खामोश हो जाती है।
रेप पीड़ितों पर समझौता करने का दबाव
अगर हमारे समाज में किसी महिला के साथ रेप या गैंगरेप होता है तो परिवार और समाज उसपर आरोपी से समझौता कर लेने का दबाव बनाने लगते है। कई बार तो पुलिस भी पीड़ित महिला पर समझौते का दबाव डालकर केस दर्ज नहीं करती। महिला की अस्मत से खेलने वाले आरोपियों की हिम्मत बढ़ जाती है और वो ऐसी ही दूसरी घिनौनी वारदातों को अंजाम देने से नहीं कतराता है।
ढ़ीली कानून व्यवस्था
भारत में हर एक लाख लोगों पर 15 न्यायाधीश है, जबकि चीन में प्रति लाख लोगों पर 159 जज है। ऐसे में हमारी लेट लतीफ कानून व्यवस्था के कारण न्याय मिलने में देरी होना रेप जैसी वारदातों को बढ़ावा देता है। कई बार तो देखा गया है कि जेल के आरोप में सजाकाट कर आया आरोपी दुबारा उसी अप राध को अंजाम देता है। कई बार तो बलात्कार पीड़ित महिला भी न्याय मिलने में देरी के डर से शिकायत नहीं करती है।
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शिक्षा का अभाव
भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति अपराध के बारे में शिक्षा के अभाव में इस तरह की घटनाएं बढ़ रही है। जरुरत ना केवल महिलाओं को शिक्षित करने की है, बल्कि पुरुषों को भी ये बात समझाना जरुरी है कि महिलाओं की इज्जत की जाए। जहां लड़कियों में आत्मरक्षा की कमी है तो वहीं लड़कों में वैचारिक सोच की।