भैया लॉकडाउन क्या न कराए, अब डॉक्टर साहब बन गए नाई

डॉ. कटियार का कहना है कि सैलून की दुकान पर जाना खतरे से खाली नहीं है। हालांकि ज्यादातर सैलून कीदुकानें बंद हैं। लेकिन कुछ लोग घर पर जाकर बाल काटने लगे हैं।

Update: 2020-05-19 11:03 GMT

कन्नौज: कोविड-19 से बचने के लिए पढ़े-लिखे या कुछ ही लोग सक्रिय हैं जो लॉक डाउन का पालन करते आ रहे हैं। ज्यादातर लोग लापरवाही बरतते हैं, तो खामियाजा भी भुगतना पड़ता है। लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो फूंक-फूंक कर कदम रखते हैं। जिसकी वजह से वह संक्रमण की चपेट से दूर हैं। शहर के एक डॉक्टर ऐसे भी हैं, जिन्होंने खुद और अपने परिवार को सैलून की दुकान पर जाने से रोक रखा है, ताकि वह महफूज रह सकें। इनसे लोगों को सीख लेनी चाहिए।

घर पर ही काटे बेटे और भाई के बाल

यूपी के जिला कन्नौज के ब्लॉक जलालाबाद क्षेत्र में आरबीएसके (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) टीम में शामिल डॉ. वरुण सिंह कटियार अपने परिवार के साथ शहर के सरायमीरा जीटी रोड किनारे रहते हैं। पत्नी बेसिक शिक्षा विभाग में टीचर हैं, पांच साल का बेटा यूकेजी में पढ़ता है। माता-पिता के अलावा छोटा भाई ऐश्वर्य जो पेशे से इंजीनियर है, करीब डेढ़ महीने से यहीं पर रह रहे हैं। डॉ. कटियार बताते हैं कि भाई नोयडा में तैनात है। लेकिन लॉकडाउन की वजह से वह पत्नी समेत कन्नौज ही आ गए थे।

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उन्होंने बताया कि प्रदेश में ही नहीं देश और विश्व में हर रोज कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। इसलिए लॉकडाउन व फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी है। इसी के तहत उन्होंने घर पर ही इंजीनियर भाई के बाल काटे हैं। साथ ही पुत्र अमय जो पांच साल का है और यूकेजी में पढ़ता है, उसके भी बाल काटे।

सैलून या नाई की दुकान पर जाना नहीं खतरे से खाली- डॉक्टर

डॉ. कटियार का कहना है कि सैलून की दुकान पर जाना खतरे से खाली नहीं है। हालांकि ज्यादातर सैलून कीदुकानें बंद हैं। लेकिन कुछ लोग गांव व घर पर जाकर बाल काटने लगे हैं। सेविंग भी करा रहे हैं। लेकिन इससे कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने का खतरा काफी बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि जीवन में कभी ऐसा मौका नहीं लगा कि खुद ही किसी के बाल काटने पड़ें।

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लेकिन अपनी सुरक्षा अपने हाथों ही होती है। इसलिए बाजार से पूरी तरह से परहेज कर रखा है। सैलून वाले औजार को सेनेटाइज भी नहीं करते हैं और एक कपड़ा भी कई लोगों पर प्रयोग करते हैं। इससे लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।

अजय मिश्र

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