भाई को खो चुके डॉक्टर की गुहार- अकेलापन घोंट रहा दम, इलाज में हो बदलाव

उत्तर प्रदेश के एक युवा डॉक्टर ने पेश की ऐसी मिसाल, खुद लड़ रहे कोरोना से जंग लेकिन दूसरों की करते रहे इस प्रकार मदद।

Written By :  Meghna
Published By :  Monika
Update:2021-05-17 08:04 IST

कोरोना मरीज डॉ नीरज कुमार मिश्रा (फोटो : सोशल मीडिया )

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के एक युवा डॉक्टर के साथ जो पिछले 1 महीने में घटा उसको सुनकर आपका दिल पसीज जाएगा। एक ओर जहां वो डॉक्टर कोरोना वायरस से अपने मरीज़ों की लड़ाई में मदद कर रहा था वहीं दूसरी वो अपने बड़े भाई को इस महामारी से नहीं बचा सका। माता और पिता के साथ खुद भी संक्रमित हो चुके डॉक्टर नीरज कुमार मिश्रा अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी लोगों की सेवा में लगे हैं। दोबारा कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बावजूद अपने बुलंद हौसले की बदौलत उन्होंने इस वायरस को मात दी है। इसके साथ ही वो सरकार से कोरोना वायरस के मरीज़ों के इलाज में कुछ बदलाव लाने की गुज़ारिश कर रहे हैं।

10 दिन तक वेंटिलेटर सपोर्ट पर रहे पेशे से सर्जन डॉ नीरज आज पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशंस से जूझ रहे हैं और अब भी ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। अपने अनुभवों के आधार पर उन्होंने मानक चिकित्सकीय इलाज के इतर कुछ साइकोलॉजिकल पहलूओं को भी शामिल करने की सरकार से गुज़ारिश की है। उनका मानना है कि अस्पताल में मरीज़ चारों ओर मशीनों से घिरा रहता है जिस वजह से उसे घबराहट होती है और इन्हीं कारणों की वजह से ज़्यादातर मरीज़ हार्ट अटैक से मर रहे हैं। अस्पतालों में अकेलापन कहीं न कहीं उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी काफी असर डाल रहा है जिससे आत्महत्या के विचार भी आते हैं। साइकोलॉजिकल और इमोशनल सपोर्ट ना मिल पाने से भी मरीज़ ज़िंदगी की जंग हार रहे हैं।

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दिए सुझाव:

खुद इन चीज़ों से गुज़र रहे डॉ नीरज ने अपने अनुभव के आधार पर कहा है कि कई बार कुछ मानसिक भटकाव स्वास्थ्य में सुधार ला सकता है जैसे मरीज़ों की आस्था के आधार पर उन्हें आसपास कुछ भजन आदि सुनाए जाएं, पॉजिटिव चीजें लाई जाएं। इसके अलावा उन्होंने मरीज़ों के परिवारवालों को पूरी सुरक्षा के साथ बिना इलाज में बाधा पहुंचाए मरीज़ से कुछ देर के लिए ही सही मिलने की अनुमति देने का आग्रह किया है।

डॉक्टर पर टूटा दुख का पहाड़:

मरीज़ों का इलाज करते करते अपने भाई को ना बचा पाने के दुख से डॉक्टर नीरज उबरे भी नहीं थे की उनकी हालत बिगड़ने लगी। भाई का श्राद्ध करवाकर लौटते-लौटते उनकी हालत गंभीर हो गई। इसके साथ उनके माता पिता को भी हॉस्पिटल में ऐडमिट करवाना पड़ा। नीरज मिश्रा की बिगड़ती हालत को देखकर अन्य डॉक्टर्स उनपर हिम्मत हार चुके थे। लेकिन अपने कानों में उनको बचाने वाले लोगों की पड़ रही आवाज़ों ने उन्हें काफी हिम्मत दी और आज वो कोरोना को मात देकर जल्द ठीक होने की कगार पर हैं।

असली कोविड वॉरियर्स:

लेखिका के विचार: आज के इस नकारात्मक माहौल में एक ओर जहां आंकड़े और परिस्थितियां डराती हैं, वहीं दूसरी ओर डॉ नीरज जैसे लोगों की हिम्मत कई लोगों के लिए मिसाल है। असल मायने में एक कोविड वॉरियर के रूप में डॉ नीरज पोस्ट कोविड कॉम्पलिकेशंस को लेकर लोगों को जागरुक कर रहे हैं। उनकी हिम्मत को सलाम!

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