Dog Attack in Ghaziabad: कुत्ते के हमले में घायल एक साल की बच्ची के चेहरे पर लगे 115 टांके, 36 घंटे चली मैराथन सर्जरी
Dog Attack in Ghaziabad : गाजियाबाद के विजयनगर में कुत्ते के काटने से एक साल की बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई। घायल बच्ची के चेहरे पर 115 टांके लगे हैं।
Dog Attack in Ghaziabad: उत्तर प्रदेश में कुत्तों के हमले थमने का नाम नहीं ले रहे। राजधानी लखनऊ हो या एनसीआर क्षेत्र, कुत्तों का आतंक चरम पर है। ताजा मामला एनसीआर क्षेत्र गाजियाबाद के विजयनगर का है। जहां कुत्ते के काटने से एक साल की बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई। घायल बच्ची के चेहरे पर 115 टांके लगे हैं। उस बच्ची के दर्द का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि, उसकी सर्जरी करीब 36 घंटे चली।
आसान नहीं थी सर्जरी
गाजियाबाद में कुत्ते के हमले में घायल बच्ची का नाम रिया बताया जा रहा है। बच्ची के चेहरे पर गंभीर जख्म देख डॉक्टर चौंक गए। ये घटना सोमवार की है। एमएमजी अस्पताल के डॉक्टरों ने 36 घंटे की मैराथन सर्जरी के बाद बच्ची को उस दर्द से राहत दिलाई। बताया जाता है कि सर्जरी के दौरान ईएनटी स्पेशलिस्ट भी साथ रहे। बच्ची के चेहरे पर करीब 115 टांके लगाए गए हैं। इस संबंध में ENT स्पेशलिस्ट डॉ. राकेश ने मीडिया को बताया कि, मासूम के चेहरे पर कई छोटे-छोटे टांके लगाने पड़े। एक साल की छोटी बच्ची के चेहरे सहित कान के आसपास भी जख्म थे। कई जगहों पर घाव टेढ़े-मेढ़े थे। इन पर टांके लगाना आसान नहीं था।
गाल का मांस हट गया था
बच्ची के पिता सतपाल ने बताया कि, गाजियाबाद के विजयनगर में बीते शनिवार को घर के बाहर बच्ची खेल रही थी। तभी कुत्ते ने उस पर हमला बोल दिया। कुत्ते ने बच्ची के चेहरे को बुरी तरह नोंच डाला। कुत्ते के हमले से बच्ची के गाल का मांस हट गया था। हालत ये थी कि, अंदर से दांत तक दिखने लगे थे।
नोएडा चाइल्ड PGI ने नहीं किया भर्ती
बच्ची के पिता ने बताया कि सबसे पहले वो बच्ची को लेकर नोएडा पीजीआई (Noida PGI) गए। वहां डॉक्टरों ने देखने से ही इनकार कर दिया। उसके बाद लाचार पिता दौड़ते-भागते रहे। निजी अस्पताल में बच्ची के इलाज का खर्च 5 लाख बताया। तब सोमवार को एमएमजी अस्पताल में सर्जरी हुई है। हालांकि, चेहरे पर निशान रह जाने का खतरा बना हुआ है।
काफी महंगा होता है इंजेक्शन
बच्ची का इलाज करने वाले डॉक्टर की मानें तो बच्ची अब ठीक है। उन्होंने बताया दो हफ्ते में वो पूरी तरह ठीक हो जाएगी। एक अख़बार से बात करते हुए CMS डॉ. मनोज चतुर्वेदी ने बताया कि, 'इस तरह के गहरे घाव में एंटी रेबीज इंजेक्शन (Anti Rabies Injection) के साथ सीरम के इंजेक्शन भी लगाने पड़ते हैं। इनकी सरकारी स्तर पर आपूर्ति नहीं होती है। ये इंजेक्शन काफी महंगा होता है। इस इंजेक्शन को बाहर से खरीदा गया, जिसके बाद बच्ची की सर्जरी हो पाई।'