लखनऊः उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव पर से पर्दा हटने ही वाला है। चुनाव आयोग के अधिकारियों के मुताबिक अब किसी भी दिन 20 से 26 दिसंबर के बीच यूपी चुनाव की अधिसूचना आ सकती है। माना जा रहा कि इसी वजह से चुनाव आयोग ने यूपी बोर्ड की घोषित तारीखों पर रोक लगाकर यूपी के मुख्य चुनाव अधिकारी समेत प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा को दिल्ली में मीटिंग के लिए बुला लिया है। चुनाव आयोग के अधिकारियों के मुताबिक अब तक इस बात पर पेंच फंसा है कि आयोग पांच चरणों में यूपी के चुनाव कराए या सात चरणों में। वहीं इस बात पर सहमति है कि यूपी में चुनाव 7 मार्च तक पूरे करा लिए जाएं।
कब होंगे चुनाव?
उत्तर प्रदेश के चुनाव को लेकर कई तरह की चर्चाएं आम हैं। कुछ लोग इसे अप्रैल के बाद होने की बात कर रहे है। ऐसे में चुनाव आयोग से जुडे अधिकारियों की माने तो उत्तर प्रदेश में चुनाव 5 या सात चरणों में हो इसे लेकर ही पशोपेश है। दरअसल यूपी बोर्ड की परीक्षाओं के मद्देनजर यह फैसला लिया जाना है। साथ ही यह बात भी करीब करीब तय हो चुकी है कि यूपी में चुनाव 7 मार्च तक खत्म कर लिए जाएगे। यही वजह है कि अधिसूचना इसी महीने की 20 तारीख से 26 के बीच में कभी भी आ सकती है।
पंजाब चुनाव की फांस
उत्तर प्रदेश के चुनाव पर पंजाब का साफ असर है। वैसे भी पंजाब चुनाव को लेकर चुनाव आयोग यह ऐलान कर चुका है कि पंजाब में चुनाव फरवरी से मार्च के बीच ही होंगे। पंजाब विधानसभा अपनी मियाद जनवरी में पूरी कर रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि पंजाब और यूपी के चुनाव एक साथ होंगे क्योंकि सत्ताधारी भाजपा यह नहीं चाहती कि किसी भी राज्य का प्रभाव दूसरे राज्य में पडे। ऐसे में माना जा रहा है कि पंजाब और उत्तर प्रदेश के चुनाव में वोटों की गिनती एक साथ ही होगी।
पार्टियों के लिए भी मुफीद
अगर पार्टियों की बात की जाए तो फरवरी मार्च पार्टियों के लिए मुफीद होता है। दरअसल इन दिनों गर्मी होती है और गुलाबी ठंड में होने वाली रैली में भीड़ जुटाने में आसानी होती है। भाजपा को जहां इस बात की सूचना है कि विमुद्रीकरण के उसे फायदा मिल रहा है और जनता उसके साथ है वहीं कांग्रेस, सपा , बसपा लोगों की तकलीफ मुद्दा बनाकर इसे जल्द से जल्द से भुनाना चाहती है।