केशव प्रसाद मौर्य को लेकर चर्चा तेज, क्या फिर से मिलेगी डिप्टी सीएम की कुर्सी या संगठन में होगी वापसी?

Election Results 2022: डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की हार से जहां भाजपा कार्यकर्ता निराश हैं वहीं डिप्टी सीएम की कुर्सी को लेकर भी चर्चा तेज़ हो गयी है।

Written By :  Rahul Singh Rajpoot
Published By :  Monika
Update: 2022-03-11 06:38 GMT

उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (फोटो-सोशल मीडिया) 

UP Election Results 2022: उत्तर प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत से जहां कार्यकर्ता और नेता गदगद हैं, वहीं उनके कुछ बड़े नेता चुनाव हार भी गए हैं। जिसमें सबसे बड़ा नाम उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) का है। केशव मौर्य अपने जिले की सिराथू विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी डॉक्टर पल्लवी पटेल (Pallavi Patel) से हार गए हैं। उनकी हार से जहां भाजपा (BJP) कार्यकर्ता निराश हैं वहीं अब ये चर्चा तेज हो गई है कि क्या केशव मौर्य उपमुख्यमंत्री बनेंगे या फिर पार्टी में उन्हें कोई दूसरी जिम्मेदारी मिलेगी। क्योंकि चुनाव हार चुके केशव मौर्य के डिप्टी सीएम बनने के चांस कम नजर आ रहे हैं। यह अलग बात है कि वह अभी एमएलसी हैं बीजेपी में उनका पिछड़े नेता के तौर पर बड़ा कद भी है लेकिन चुनाव हारने के बाद उनके सरकार में शामिल होने पर सस्पेंस आ गया है।

केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) अगर चुनाव जीतते तो उनका डिप्टी सीएम (Deputy CM) बनना तय था लेकिन चुनाव हारने के बाद अब फिर से वह डिप्टी सीएम बनेंगे या कह पाना मुश्किल है। अब फैसला दिल्ली में आलाकमान और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बैठक में होगा की केशव मौर्य को क्या जिम्मेदारी दी जाये। उन्हें संगठन में जिम्मेदारी मिलेगी या फिर सरकार में शामिल होंगे यह बड़ा सवाल बन गया है जिस पर हर पॉलिटिकल पंडित और उनके समर्थकों की नजर टिकी है। बीजेपी आलाकमान केशव मौर्य को साइड लाइन नहीं कर सकता क्योंकि उनके सामने 2024 है। उत्तर प्रदेश में पिछड़ों के नेता के तौर पर केशव की अपनी पहचान है और वह उसे किसी भी कीमत पर नाराज नहीं करना चाहेगी। केशव मौर्य की अगुवाई में 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव लड़ा था और रिकॉर्ड सीटें जीतकर यूपी की सत्ता पर काबिज हुई थी। ऐसे में उन्हें साइडलाइन करके भारतीय जनता पार्टी जोखिम नहीं लेना चाहेगी।

सिराथू सीट से जीतकर विधायक बने थे केशव मौर्य

केशव प्रसाद मौर्य 2012 में पहली बार सिराथू विधानसभा सीट से जीतकर विधायक बने थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें फूलपुर से अपना उम्मीदवार बनाया और वह चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 2017 में जब भाजपा की सरकार उत्तर प्रदेश में बनी उस वक्त केशव मौर्य ही प्रदेश अध्यक्ष थे। ऐसे में उन्हें बीजेपी से गिफ्ट मिला मुख्यमंत्री की कुर्सी तो नहीं हासिल हुई लेकिन उपमुख्यमंत्री बनाकर उन्हें इनाम दिया गया। बीच में उनके और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच तल्ख़ रिश्तो की खबरें भी काफी सुर्खियों में रही लेकिन यह उनकी ओर से खारिज कर दिया जाता था। हालांकि अब यह देखना होगा कि केशव मौर्य को लेकर बीजेपी आलाकमान क्या फैसला लेता है, इसमें योगी आदित्यनाथ की भी मुहर जरूरी होगी क्योंकि इस प्रचंड जीत में योगी आदित्यनाथ अब भाजपा के राष्ट्रीय नेता के तौर पर अपनी पहचान बना चुके हैं और उन्हें बीजेपी अब इग्नोर नहीं कर सकती।

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