10 हजार करोड़ का बिजली बिल 'दबा' के बैठे विभाग, क्या है योगी सरकार का प्लान
इन दिनों राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में बिजली विभाग की जबरजस्त छापेमारी चल रही है। बड़ा, छोटा कोई नहीं छोड़ा जा रहा, धड़ाधड़ धर-पकड़ हो रही है। लेकिन इन्ही कर्मचारियों, अधिकारीयों को वहां करंट लग जाता है, जहां सरकारी दफ्तर का कनेक्शन
मनोज द्विवेदी
लखनऊ: इन दिनों राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में बिजली विभाग की जबरजस्त छापेमारी चल रही है। बड़ा, छोटा कोई नहीं छोड़ा जा रहा, धड़ाधड़ धर-पकड़ हो रही है। लेकिन इन्ही कर्मचारियों, अधिकारीयों को वहां करंट लग जाता है, जहां सरकारी दफ्तर का कनेक्शन काटना हो। नतीजा इस वित्तीय तिमाही में प्रदेश में बिजली का कुल घाटा 20 हजार करोड़ का है और इसकी आधी रकम यानि 10 हजार करोड़ अकेले सरकारी विभागों ने "दबा" रखा है। अब योगी सरकार ने भी बनाया है एक सीक्रेट प्लान--
बिजली बिल नहीं देते सरकारी विभाग
बीती तिमाही के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश विद्युत् निगम ने कुल 87 फीसदी बिजली बिल वसूली का लक्ष्य प्राप्त किया। जहां तक सरकारी विभागो की अदायगी का सवाल है तो विभागों ने करीब 50 फीसदी ही बिजली बिल जमा किया। इस तिमाही प्रदेश में बिजली का कुल घाटा 20 हजार करोड़ के आसपास है। और वहीं प्रदेश के सरकारी महकमे 10 हजार करोड़ से ज्यादा का बिजली बिल रोक कर बैठे हैं।
टॉप डिफ़ॉल्टर बना यूपी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 10 हजार करोड़ के बकाये से उत्तर प्रदेश शीर्ष पर बना हुआ है। दूसरे नंबर पर करीब 4 हजार करोड़ के बकाये संग तेलंगाना है।साढ़े 3 हजार करोड़ के डिफाल्ट से महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर बना हुआ है। इसके बाद आंध्र प्रदेश, केरल, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक हैं जिन पर 1 से 2 हजार करोड़ का बकाया है। इस लिस्ट में करीब करीब 1 हजार करोड़ के बकाये के साथ बिहार ने टॉप 10 डिफ़ॉल्टर स्टेट में अपनी जगह बनायी है।
बजट में ही बिल वसूलने की तैयारी
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो ऊर्जा मंत्री और सीएम योगी के बीच इस मसले को लेकर चर्चा हुई है। सीक्रेट प्लान यही है की प्रदेश सरकार तय नियमों के अनुसार बिल जमा करवाने का अभियान चलाएगी। यदि इससे समस्या न सुलझी तो बजट में ही सरकारी विभागों के बिजली बिल संयोजन को लेकर प्रावधान किया जा सकता है। इस समय उत्तर प्रदेश के सरकारी विभाग पूरे देश में बिजली बिल न जमा करने वालों में शीर्ष पर हैं।