Sonbhadra News: कार्य बहिष्कार कर सड़कों पर उतरे हजारों बिजलीकर्मी - इंजीनियर, इलेक्ट्रीसिटी अमेंडमेंट बिल का विरोध
Sonbhadra News: 'इलेक्ट्रीसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 के विरोध में सोनभद्र सहित पूरे उत्तर प्रदेश में हजारों बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने कार्य बहिष्कार के साथ प्रदर्शन किया ।
Sonbhadra News: 'इलेक्ट्रीसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 के विरोध में सोनभद्र सहित पूरे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में हजारों बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने कार्य बहिष्कार ( by boycotting the work) के साथ ही सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया और विरोध दर्ज कराया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने इसकी अगुवाई की।
संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारी पल्लब मुकर्जी, प्रभात सिंह, गिरीश पांडेय,सदरूद्दीन राना, राजेंद्र प्रसाद घिल्डियाल, सुहेल आबिद, पी के दीक्षित, डी के मिश्रा, महेंद्र राय, शशिकांत श्रीवास्तव, प्रेम नाथ राय, एके श्रीवास्तव, सुनील प्रकाश पाल, ए क श्रीवास्तव, आर के सिंह, शंभू रतन दीक्षित, विशंभर सिंह, रफीक अहमद, जीपी सिंह, राम सहारे वर्मा, पीएस वाजपेयी का कहना था कि बिजली कर्मियों ने ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण की दृष्टि से अलोकतांत्रिक ढंग से संसद में रखे गए बिल के प्रति अपना रोष प्रकट किया और काम बंद कर सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया।
बिजली कर्मचारियों की मांग है कि इलेक्ट्रीसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 वर्तमान स्वरूप में वापस लिया जाए। यदि सरकार इसे लाना भी चाहती है तो इसे बिजली मामलों की संसद की स्टैंडिंग कमेटी को संदर्भित किया जाये जिससे सभी स्टेक होल्डर्स खासकर आम बिजली उपभोक्ता और बिजली कर्मियों को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिल सके।
सोनभद्र से लेकर लखनउ तक विरोध में उठी आवाज
सोनभद्र के अनपरा, ओबरा के साथ ही हरदुआगंज, पारीछा, पनकी, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, बरेली, अयोध्या, मुरादाबाद, मेरठ, गाजियाबाद, सहारनपुर, अलीगढ़, आगरा, कानपुर, झांसी, बांदा, गोंडा में बिजली कर्मियों ने कार्य बहिष्कार के जरिए विरोध जताया। लखनऊ में राणा प्रताप मार्ग स्थित हाईडिल फील्ड हॉस्टल में बिजली कर्मचारी और इंजीनियरों ने एकत्र होकर आवाज उठाई। पावर कारपोरेशन के मुख्यालय शक्तिभवन में गेट बंद कर दिए जाने से कर्मचारी बाहर नहीं निकल पाए। फील्ड हॉस्टल से शक्तिभवन तक जुलूस भी निकाला गया।
आश्वासन के बाद भी नहीं की गई किसानों-स्टेक होल्डर्स से वार्ता
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि इलेक्ट्रीसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 के जरिए केंद्र सरकार इलेक्ट्रीसिटी एक्ट 2003 में संशोधन करने जा रही है जिसके बिजली कर्मचारियों और बिजली उपभोक्ताओं पर दूरगामी प्रतिगामी प्रभाव पड़ने वाले हैं। केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष संयुक्त किसान मोर्चा को पत्र लिखकर यह वायदा किया था कि किसानों तथा सभी स्टेक होल्डर्स से विस्तृत वार्ता किए बगैर, इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट) बिल 2022 संसद में नहीं रखा जाएगा। बावजूद अब तक कोई वार्ता नहीं की गई।
इन-इन मसलों पर जताया जा रहा खासा एतराज
- संयुक्त संघर्ष समिति के मुताबिक इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट) बिल 2022 में यह प्राविधान है कि एक ही क्षेत्र में एक से अधिक वितरण कम्पनियों को लाईसेंस दिया जायेगा। निजी क्षेत्र की नई वितरण कंपनियां सरकारी क्षेत्र के नेटवर्क का प्रयोग कर बिजली आपूर्ति करेंगी।
- यूनिवर्सल पावर सप्लाई ऑब्लीगेशन अर्थात् सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली देने की बाध्यता केवल सरकारी कम्पनी की होगी और निजी क्षेत्र की कम्पनियां मन मुताबिक केवल मुनाफे वाले औद्योगिक व व्यवसायिक उपभोक्ताओं को बिजली देकर मुनाफा कमाएंगी।
- नेटवर्क के अनुरक्षण का कार्य सरकारी कंपनी के पास रहेगा और इसको सुदृढ़ करने व संचालन व अनुरक्षण पर सरकारी कंपनी को ही पैसा खर्च करना होगा। इस प्रकार निजी कम्पनियां मात्र कुछ व्हीलिंग चार्जेस देकर मुनाफा कमाएंगी। परिणामस्वरूप सरकारी कम्पनियां आर्थिक तौर पर दिवालिया हो जाएंगी।
- बिल के अनुसार सब्सिडी व क्रॉस सब्सिडी समाप्त की जाएगी जिससे सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं से बिजली की पूरी लागत वसूल की जा सके। 7.5 हार्स पावर के पंपिंग सेट को मात्र 06 घण्टे चलाने पर किसानों को 10 हजार से 12 हजार रूपये प्रतिमाह का बिल देना पड़ेगा। यही हाल आम घरेलू उपभोक्ताओं का भी होगा। इस प्रकार यह बिल न तो आम जनता के हित में है और न ही कर्मचारियों के हित में है।