कर्मचारी संगठन ने दी चेतावनी, कर्मचारियों की मांगे नहीं मानी तो 20 सितंबर से आंदोलन
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने बुधवार को लखनऊ में ऑनलाइन संयुक्त परिषद के चरणबद्ध जागरूकता आंदोलन की घोषणा करते हुए इसकी आधिकारिक सूचना प्रदेश के मुख्य सचिव के आधिकारिक ईमेल पर भेजी है।
लखनऊ: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने बुधवार को लखनऊ में ऑनलाइन संयुक्त परिषद के चरणबद्ध जागरूकता आंदोलन की घोषणा करते हुए इसकी आधिकारिक सूचना प्रदेश के मुख्य सचिव के आधिकारिक ईमेल पर भेजी है। मुख्य सचिव को भेजी गई सूचना में कहा गया है कि आगामी 20 सितंबर तक अगर सरकार ने परिषद की मांगों पर कोई निर्णय नहीं लिया तो 21 सितम्बर से आंदोलन की शुरुआत कर दी जायेगी।
परिषद द्वारा बुधवार को जारी बयान में कहा गया है कि परिषद की कार्यकारिणी की बैठक में ये फैसला लिया गया है कि आंदोलन चार चरणों में चलाया जायेगा। पहले चरण में 21 सितंबर से 20 अक्टूबर तक पत्र के माध्यम से कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए जनपद शाखा व संबद्ध संगठनों के माध्यम से मुख्य सचिव को पत्र भेजा जाएगा।
दूसरे चरण में 21 अक्टूबर से 20 नवंबर तक सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक लाइव, इंस्टाग्राम, ट्विटर, ईमेल, जूम, रूम तथा अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार प्रसार किया जाएगा। तीसरे चरण में 23 नवंबर से 20 दिसंबर तक मंडल स्तर पर सम्मेलन कर कर्मचारियों में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा तथा चैथे व अंतिम चरण में 27 दिसंबर को लखनऊ में सांकेतिक धरना प्रदर्शन कर मांगों का ज्ञापन दिया जाएगा।
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परिषद अध्यक्ष ने मुख्य सचिव से अपील की है कि कर्मचारी कोविड-19 को भगाने में लगा हुआ है, ऐसे में कर्मचारियों की मांगों पर तत्काल कार्यवाही किया जाए अन्यथा प्रदेश में बड़े आंदोलन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
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कर्मचारियों की मांगों के संबंध में बताते हुए उन्होंने कहा कि संविदा व आउटसोर्स कर्मचारियों का मानदेय बढ़ा कर उनका नियमितीकरण किया जाए, नगर भत्ता सहित अन्य 12 भत्तों को काटे जाने, जेम पोर्टल की कार्यवाही समयबद्ध किए जाने, कर्मचारियों की समस्याओं के निस्तारण के लिए अलग पोर्टल बनाए जाने, पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली किए जाने, भारत सरकार के कार्यालय ज्ञापन 17 फरवरी 2020 एवं 11 जून 2020 का क्रियान्वयन प्रदेश में कराया जाने, रिक्त पदों को भरे जाने, कार्यालयों में हेल्प डेस्क सक्रिय किए जाने एवं 50 प्रतिशत रोस्टर लागू किये जाने, परिवहन निगम सहित अन्य सरकारी विभागों में निजीकरण पर रोक लगाए जाने, कर्मचारियों का अनावश्यक उत्पीड़न रोके जाने, अनुसूचित प्राथमिक विद्यालयों को अनुदान सूची में लिए जाने एवं पदोन्नति के पदों को भरे जाना शामिल है।
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