CM ने की थी घोषणा, डिप्टी जेलर की मौत पर पिता को नहीं मिला मुआवजा

Update: 2016-03-12 09:00 GMT

लखनऊ: एक पिता के लिए इससे दुर्भाग्य की बात क्या हो सकती है कि वो अपने बेटे की अर्थी को कंधा दें। ऐसा ही कुछ डिप्टी जेलर के पिता राजेन्द्र त्यागी के साथ हुआ है। बेटे का जिक्र आते ही राजेंद्रजी के आंखों से आंसू की धार निकलने लगती है। एक ओर असमय बेटे की मौत और दूसरी ओर मुआवजे के लिए वे कई सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे है।​

क्या है मामला?

-डिप्टी जेलर अनिल त्यागी की हत्या के बाद सीएम ने आर्थिक मदद की बात कही थी।

-उन्होेंने परिजनों को 20लाख रूपये की मदद देने की घोषणा की थी।

-अबतक सीएम की घोषणा को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है।

- घोषणा के करीबन 3 साल हो रहे हैं और उनके बुजुर्ग पिता आज भी सहायता की आस में है।

- इसी उम्मीद से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं ।

2015 में हुई थी हत्या

-उनकी 23 नवंबर 2015 को जिम से निकलते वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी।

-जेलर त्यागी अपने सख्त रवैये के लिए कैदियों में जाने जाते थे।

-इस हत्याकांड से सरकार की खासी किरकिरी हुई थी।

-उस वक्त वाराणसी जिला जेल में अनिल त्यागी डिप्टी जेलर के पद पर थे।

शिवपाल भी गए थे त्यागी के घर

अनिल त्यागी के पिता का कहना है कि घटना के अगले के दूसरे दिन 24 नवंबर को कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव भी मेरठ स्थित उनके घर गए थे और उनके परिवार को सहायता दिलाने का आश्वासन दिया था।

इसके पहले भी जेलरों को बनाया गया है निशाना

-यह कोई पहली घटना नहीं है। इसके पहले भी प्रदेश के कई जेलों के जेलर अपराधियों के निशाने पर रहे हैं।

-बदमाशों ने वर्ष 1986 में ही वाराणसी जिला जेल के ही जेलर बिहारी राम पर गोलियां बरसाईं थी।

-साल 2001 में वाराणसी के डिप्टी जेलर सूर्यमणि चौबे बदमाशों की गोली का शिकार बने थे।

-साल2005 में आजमगढ़ जिला जेल के जेलर दीपसागर की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी।

-साल 2012 में वाराणसी में ही कैदियों ने वरिष्ठ जेल अधीक्षक एसके पांडेय पर हमला कर दिया था।

 

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