यह फर्जी डॉक्टर है मेडिकल फील्ड का मिस्टर नटवरलाल, अधिकारी नहीं कर रहे कोई कार्रवाई

Update:2017-04-19 11:07 IST

कौशांबी: झोला छाप डॉक्टरों के किस्से तो आपने बहुत सुने होंगे, लेकिन यूपी के कौशांबी में एक ऐसा फर्जी डॉक्टर है, जो खुद को लकवा यानी पैरालाइसिज और कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियों का स्पेशलिस्ट बताकर तमाम भोले-भाले गरीबों की सेहत व ज़िंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहा है। यह फर्जी डाक्टर खुद को डब्लू एचओ से सम्मानित बताता है, तो पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल के नाम का भी गलत इस्तेमाल कर लोगों को बेवकूफ बना रहा है।

अपने विज्ञापनों में यह दावे करता है कि उसके इलाज से अमेरिका जैसे विकसित देश में भी हड़कंप मचा हुआ है। बंदूकधारी सिक्योरिटी गार्ड्स के साए में चलने वाला यह झोलाछाप गलत इलाज करने के केस में बाइस दिनों तक जेल भी जा चुका है।

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यह अलग-अलग जगहों पर अपना अलग-अलग नाम बताता है और लग्जरी गाड़ी पर फर्जी तरीके से भारत सरकार लिखवा रखा है। हालांकि यह सरेआम कबूल करता है कि उसके पास कोई डिग्री नहीं है और वह सिर्फ बारहवीं तक ही पढ़ा हुआ है, लेकिन इस कबूलनामे के बावजूद वह खुद को न तो फर्जी मानता है और न ही झोलाछाप। यह होम्योपैथ और एलोपैथ दोनों ही तरीकों से लोगों का इलाज करता है। मरीजों को अपनी क्लीनिक में भर्ती करता है और उन्हें इंजेक्शन भी लगाता है।

पिछले बीस सालों से बिना किसी डिग्री के लोगों का इलाज करने वाला यह फर्जी हर महीने लाखों रुपए विज्ञापन पर खर्च करता है। एक बार जेल भेजने के बाद अफसर भी इसके खिलाफ अब कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो यह मेडिकल फील्ड का नटवरलाल है।

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यूपी के कौशांबी जिले के मनौरी कस्बे में आलीशान बिल्डिंग में चल रही क्लीनिक किसी नामचीन या स्पेशलिस्ट डॉक्टर की नहीं, बल्कि बिना डिग्री वाले फर्जी व झोलाछाप डॉक्टर की है। समूची दुनिया में लकवा यानी पैरालाइसिस और कैंसर जैसी बीमारियां आज भी लाइलाज या बेहद मुश्किल मानी जाती हैं, लेकिन बिना डिग्रियों वाला यह डॉक्टर खुद को इन बीमारियों का स्पेशलिस्ट बताकर लोगों को शर्तिया ठीक करने का दावा करता है। कैंसर और लकवे के साथ ही यह दूसरी हरेक बीमारी का इलाज करता है।

तकरीबन पचास बरस का यह डॉक्टर कभी अपना नाम एच एल मिश्र बताता है तो कभी अंजनि कुमार मिश्र। इलाहाबाद से बाहर जाने पर यह कुछ दूसरे नाम भी बताता है। इसके पास डॉक्टरी की न तो कोई डिग्री है और न ही कहीं काम करने का अलग से कोई अनुभव। यह खुद को बारहवीं पास बताता है, लेकिन इसके पांचवी से ऊपर क्लास का कोई रिजल्ट या डाक्यूमेंट नहीं है।

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हल्की बीमारी वाले गरीब मरीजों को यह होम्योपैथ की मीठी दवाएं देते हैं तो बाकियों को एलोपैथ की। यह मरीज की बीमारी से ज़्यादा उसके चेहरे के रंग से उसके इलाज का तरीका तय करते हैं। यानी गोरों को होम्योपैथ और सांवले या काले लोगों को एलोपैथ की कड़वी दवा। अपनी क्लीनिक पर यह लोगों को इंजेक्शन लगाता हैं, ग्लूकोज चढ़ाता है व ड्रेसिंग भी करता है।

यह मरीजों को दो से तीन दिन के लिए अपनी क्लीनिक कम हॉस्पिटल में भर्ती भी करता हैं। हालांकि इसने अभी कोई बड़ा ऑपरेशन नहीं किया है। पोलियो कैम्प लगाने पर इसे साल 2007 में एक सर्टिफिकेट मिला, जिसे यह खुद को डब्लूएचओ द्वारा सम्मानित किया जाना बताता है और इसे फर्जी दावे के साथ अपना प्रचार भी करता है।

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प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के राष्ट्रपति रहते इस फर्जी डॉक्टर ने स्थानीय प्रशासन के खिलाफ एक शिकायती चिट्ठी राष्ट्रपति भवन भेजी थी। राष्ट्रपति के दफ्तर ने उनकी चिट्ठी यूपी सरकार को फारवर्ड कर इन्हें उसकी जानकारी भेजी थी। इस एक्नॉलेजमेंट को कम पढ़े लिखे लोगों को दिखाकर यह दावा करता हैं कि उसके चमत्कारी इलाज पर तत्कालीन राष्ट्र्रपति प्रतिभा सिंह भी हैरत में पड़ गई थीं।

अपने लेटर पैड और विजिटिंग कार्ड पर यह लिखते हैं कि पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल उनके चमत्कार पर भाव विभोर हो गई तो साथ ही यह दावा भी करते हैं कि उनके इलाज से अमेरिका जैसा देश हैरत में है। लगातार मिल रही शिकायतों पर सरकारी महकमे ने इन्हें कई बार नोटिस दिया, क्लीनिक सील कराई और एक बार गिरफ्तार कर बाइस दिनों के लिए जेल भी भेजा, लेकिन कभी नाम बदलकर तो कभी किसी दूसरे पैंतरे से यह फिर से अपनी दुकान चलाने लगता है।

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फिलहाल अपना नाम एच एल मिश्र बताने वाले यह फर्जी डॉक्टर अपने पास देश के कोने-कोने ही नहीं बल्कि विदेशों से भी मरीजों के आने और हजारों मरीजों के पूरी तरह ठीक होने का दावा करता है। रुतबेदार फर्जी डॉक्टर ने अपनी कार पर भारत सरकार भी लिखा रखा है।

इनका कहना है कि डब्लू एचओ से मिले सर्टिफिकेट की वजह से उन्हें यह लिखने का अधिकार है। इनका यह भी दावा है कि इनके इलाज से आस- पास के बड़े शहरों के डॉक्टर्स घबराए रहते हैं, इसलिए इन्हे अपनी सुरक्षा में कई बंदूकधारी सिक्योरिटी गार्ड्स भी रखने पड़ते हैं।

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डॉक्टर साहब का अपना मायाजाल है। इसी मायाजाल के चलते गरीब और परेशान लोग इलाज के लिए उनके यहां आते हैं। यह हफ्ते में दो दिन ही नए मरीजों को देखते हैं। बाकी दिनों के लिए वह दिल्ली - मुंबई जैसे बड़े शहरों में जाकर मरीजों को देखने की फर्जी कहानी गढ़ते हैं।

उनका यह भी दावा है कि उनके इलाज से हैरत में पड़कर डब्लू एचओ उनके खिलाफ इंटरनेशल लेवल पर साजिश कर रहा है। इनके मुताबिक़ इंटरनेशनल साजिश के चलते दबाव में ही स्थानीय प्रशासन उनके खिलाफ कई बार कार्रवाई कर चुका है।

आगे की स्लाइड में देखिए इस फर्जी डॉक्टर से जुड़ी अहम तस्वीरें

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