Firozabad: भीषण अग्निकांड में दो मासूम समेत 3 की गई जान, 1 अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा
Firozabad Fire News: फ़िरोज़ाबाद में भीषण आग की वजह से दो बच्चों समेत 3 लोगों की जान चली गई, वहीं एक अन्य अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहा है। ये मामला थाना जसराना के गांव खडीत का है।
Firozabad News: उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद में भीषण आग की वजह से दो बच्चों समेत 3 लोगों की जान चली गई, वहीं एक अन्य अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहा है। ये मामला थाना जसराना के गांव खडीत का है। ये गांव डेरा बंद बंजारों का है। गांव में अधिकांश गारी बंजारे रहते हैं। ये झोपड़ी में जीवन-यापन करते हैं। इन लोगों की आजीविका फेरी लगाकर महिलाओं के श्रृंगार के सामान बेचकर या पशुओं का व्यापार कर चलता है।
कैसे हुई घटना?
फ़िरोज़ाबाद जिले के गांव खडित में शनिवार देर रात भीषण आग ने ऐसी तबाही मचाई कि दो मासूम सहित अब तक तीन जिंदगियां लील गई। बताया जाता है कि, समील नामक व्यक्ति अपने 3 बच्चों और पत्नी के साथ झोपड़ी में सो रहा था। इसी दौरान अचानक आग लग गई। जल्द ही आग ने विकराल रूप ले लिया। आग की चपेट में आने से डेढ़ साल के अनीश और ढाई साल की रेशमा की जलकर मौत हो गई। वहीं, 5 साल की सामना और उसके पिता सलीम गंभीर रूप से झुलस गए। सभी का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस मामले की जांच में जुट गई। घायल शख्स और परिजनों का आरोप है कि किसी ने जानबूझकर आग लगायी है।
खाने के बाद सो रहे थे सभी
जानकारी के अनुसार, पीड़ित परिवार खाना खाने के बाद झोपड़ी में सो रहा था। अज्ञात वजहों के कारण झोपड़ी में आग लग गई। आग इतनी विकराल रूप धारण कर चुकी थी, कि पूरी झोपड़ी धू-धूकर जलने लगी। आसपास खाफी भीड़ लग गई। आग की चपेट में आने से झोपड़ी में सो रहे लोग बुरी तरह जल गए। आसपास के लोगों ने पानी डालकर मुश्किल से आग पर काबू पाया। घायलों को फ़िरोज़ाबाद जिला मेडिकल कॉलेज ट्रामा सेंटर ले जाया गया। डॉक्टरों ने यहां दो बच्चों को मृत घोषित कर दिया, जबकि एक की अस्पताल में देहांत हो गया।
ग्राम प्रधान सचिव पर लगा आरोप
घायल सलीम का आरोप है कि, इस हादसे के लिए ग्राम प्रधान सचिव जिम्मेदार है। सरकार प्रधानमंत्री आवास जैसी तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाती है। लेकिन, राजनीतिक वजहों से जरूरतमंदों को सरकारी सुविधाओं से वंचित कर दिया जाता है। पूर्व से अधिकतर डेरा बंद बंजारे झोपड़ी में रहते हैं। मगर, अब कई गांवों में पक्के मकान खड़े हैं। इस गांव में सरकारी सुविधाओं का लाभ जरूरतमंदों को क्यों नहीं मिल रहा?