बहराइच: नेपाल और तराई में हो रही बरसात के चलते घाघरा और सरयू नदियां सोमवार को भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। महसी और कैसरगंज तहसील क्षेत्र के गांवों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। बाढ़ पीड़ितों की जैसे-तैसे सभी की जिंदगी गुजर रही है। वहीं बाढ़ से घिरे सैकड़ों गावों से अब तक पांच हजार लोग पलायन कर चुके हैं। कटान शुरू होने से अफरा-तफरी की स्थिति है।
नेपाल और तराई में हो रही वर्षा के चलते घाघरा और सरयू नदियों का पानी कम नहीं हो रहा है। केंद्रीय जलायोग संस्थान घाघराघाट के मापक जयकिशुन ने बताया कि एल्गिन ब्रिज पर घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान 106.07 के सापेक्ष 106.406 मीटर रिकॉर्ड हुआ। यह जलस्तर खतरे के निशान से 33 सेंटीमीटर अधिक है।
वहीं महसी के घूरदेवी में भी नदी खतरे के निशान के निकट बह रही है। हालात यह हैं कि अभी भी जलस्तर कम न होने से सैकड़ों गांव में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। लोगों के घरों में पानी भरा हुआ है। चूल्हा जल नहीं पा रहा है। अनाज पहले ही बाढ़ के पानी में डूब चुका है। ऐसे में राहत सहायता का अभाव सभी की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है।
गांव निवासी रामनाथ तिवारी, प्रेम कुमार और नन्हें ने बताया कि पांच दिन पूर्व एक नाव से कुछ लोग आए थे। एक-एक पैकेट पूड़ी-सब्जी दे गए थे। दो दिन तक उसी के सहारे जिंदगी कटी। अब भोजन का कोई इंतजाम नहीं हो पा रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि नाव की भी व्यवस्था नहीं है। जिससे कि वह नदी पार कर राहत शिविर तक पहुंच सकें।
वहीं दूसरी तरफ घाघरा के कटान से भी लोगों को अब जूझना पड़ रहा है। अब तक बाढ़ प्रभावित सैकड़ो गांवों के पांच हजार लोग पलायन कर चुके हैं। लेकिन इनके पुर्नवास की कोई व्यवस्था नहीं हो सकी है। सभी खुले आसमान तले सड़क और तटबंध के किनारे गुजर-बसर करने को मजबूर हैं।
निरंतर पहुंचाई जा रही राहत सहायता
बाढ़ प्रभावित इलाकों में बाढ़ चौकियों का संचालन हो रहा है। निरंतर राहत सहायता पहुंचाई जा रही है। नदी के उस पार स्थित गांवों में भी लोगों को नाव के द्वारा राहत मुहैया करायी जा रही है। लेकिन चार गांवों में राहत सहायता कैसे नहीं पहुंची। जांच कराएंगे। एनडीआरएफ की टीम के द्वारा सहायता पहुंचाई जाएगी।