पावर कार्पोरेशन घोटालाः 14 दिन की न्यायिक हिरासत में पूर्व निदेशक और महाप्रबंधक
प्रदेश की योगी सरकार ने ऊर्जा विभाग में 45 हजार कर्मचारियों के 2268 करोड़ रुपये के पीएफ घोटाला मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की है। सीबीआई जांच कराने का पत्र केंद्र सरकार को भेज दिया गया है। इसके साथ ही पूरे मामले की जांच डीजी ईओडब्ल्यू करेंगे।
लखनऊ: बिजली कर्मियों की भविष्य निधि की करोड़ों की रकम डकारने वाली कम्पनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड डीएचएफएल के मामले में पावर कार्पोरेशन के गिरफ्तार तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और महाप्रबंधक प्रवीण कुमार गुप्ता को 14 दिन की न्याययिक हिरासत में जेल भेज दिया है। इससे पहले दोनों लोगों से हजरतगंज कोतवाली में अधिकारियों ने कई घंटे तक पूछताछ भी की।
तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और महाप्रबंधक न्यायिक हिरासत में
कोतवाली प्रभारी राधारमन सिंह ने बताया कि शनिवार को पुलिस ने यूपी पावर कॉर्पोरेशन (यूपीपीसीएल) में कर्मचारियों के भविष्य निधि के निवेश में भ्रष्टाचार के आरोप में कॉर्पोरेशन के तत्कालीन निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी और तत्कालीन महाप्रबंधक वित्त प्रवीण कुमार गुप्ता को गिरफ्तार किया था। दोनों के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज हुआ है।
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रविवार को आरोपितों को हजरतगंज कोतवाली में रखा गया, जहां ईओडब्ल्यू के डीआईजी हीरालाल ने उन लोगों से इस मामले को लेकर पूछताछ की। इसके बाद दोनों आरोपितों को कड़ी सुरक्षा के बीच स्पेशल कोर्ट में पेश किया, जहां दोनों को 14 दिन की न्याययिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। इसके साथ ही इस मामले में अब पावर कार्पोरेशन के तत्कालीन चेयरमैन रहे संजय अग्रवाल और एमडी एपी. मिश्रा की भी भूमिका पर कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं कि आखिर बिना चेयरमैन और एमडी की जानकारी या सहमति के कैसे केंद्र सरकार की गाईडलाइन को दरकिनार कर पावर कार्पोरेशन कर्मियों का पीएफ डीएचएफएल जैसी निजी और डिफाल्टर कंपनी में कैसे जमा करा दिया गया?
DHFL में कर्मचारियों की भविष्य निधि के निवेश का मामला गंभीर: ऊर्जा मंत्री
इधर, प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने टवीट कर कहा कि डीएचएफएल में कर्मचारियों की भविष्य निधि के निवेश का मामला गंभीर है। इसमें जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. पावर कार्पोरेशन के सभी कार्मिक मेरे परिवार के सदस्य हैं, किसी का कोई अहित न हो सरकार यह सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि अब पूरे मामले की जांच सीबीआई (केंन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो) करेगी और इसमें किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा।
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गौरतलब है कि प्रदेश की योगी सरकार ने ऊर्जा विभाग में 45 हजार कर्मचारियों के 2268 करोड़ रुपये के पीएफ घोटाला मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की है। सीबीआई जांच कराने का पत्र केंद्र सरकार को भेज दिया गया है। इसके साथ ही पूरे मामले की जांच डीजी ईओडब्ल्यू करेंगे।