Free Ration Scheme: जून महीने से नहीं मिलेगा फ्री गेहूं, केंद्र सरकार ने लिया बड़ा फैसला!
Free Ration Scheme: पीएमजीकेवाई योजना के तहत अभी राशन कार्ड धारकों को जो फ्री राशन का वितरण हो रहा है। केंद्र सरकार ने राज्यों को आवंटित होने वाले गेहूं के कोटे को कम कर दिया है।
Free Ration Scheme: गरीबों को मिलने वाले मुफ्त राशन (free ration to the poor) को लेकर केंद्र सरकार (central government) ने बड़ा फैसला किया है। इस वक्त अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां महीने में दो बार राशन मुफ्त मिल रहा है। एक केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत आवंटित हो रहा है। दूसरा राज्य सरकार की ओर से वितरित किया जा रहा है। जिसमें गेहूं, चावल के साथ एक लीटर रिफाइंड, चना और नमक भी दिया जाता है।
बीजेपी सरकार (BJP government) के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री (Chief Minister) ने फ्री राशन योजना को तीन महीने के लिए और आगे बढ़ा दिया है। वहीं केंद्र सरकार की ओर से वितरित होने वाले राशन को लेकर कहा जा रहा है कि अगले महीने से इसमें कुछ परिवर्तन हो सकता है। जिसका आदेश केंद से राज्यों को भेज दिया गया है।
गेहूं के बदले चावल मिलेगा
पीएमजीकेवाई योजना (PMGKY Scheme) के तहत अभी राशन कार्ड धारकों को जो फ्री राशन का वितरण हो रहा है। केंद्र सरकार ने राज्यों को आवंटित होने वाले गेहूं के कोटे को कम कर दिया है। अभी प्रति यूनिट तीन किलो गेहूं और दो किलो चावल दिया जाता है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां इस योजना के लाभार्थियों की संख्या 15 करोड़ से ज्यादा है। अब केंद्र सरकार ने इसको लेकर बड़ा फैसला करते हुए राज्यों का गेहूं का कोटा कम या बंद करने का फैसला लिया है। गेहूं को कम कर चावल का कोटा बढ़ाने जा रही है। जिससे केंद्र की ओर से मिलने वाले राशन में गेहूं चावल की जगह सिर्फ चावल मिलेगा। राज्य की ओर से मिलने वाले फ्री राशन में कोई बदलाव नहीं होगा।
ये है मुख्य कारण
हालांकि इसके पीछे दो वजह मानी जा रही है, पहली देश में गेहूं की पैदावार कम होना, दूसरी प्राइवेट कंपनियों द्वारा अधिक गेंहू खरीद करना। इसके साथ ही रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग का भी असर है, क्योंकि गेहूं निर्यात की संभावना बढ़ गई है। वहीं सरकारी क्रय केंद्रों (government purchasing centers) पर इस बार गेहूं की खरीद कम होना भी इसका एक अहम कारण माना जा रहा है। राज्य में 5665 क्रय केंद्र खोले गए हैं। शुक्रवार तक इन पर मात्र 2.33 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो पाई थी। जबकि राज्य सरकार ने 60 लाख मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य रखा गया है, 15 जून तक इसकी खरीद होगी। पिछले साल कुल 58 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई थी।
खुले बाजार में ज्यादा मिल रहा दाम
इस बार गेहूं की खरीद पिछले वर्ष से 45 की बढ़ोतरी के साथ हो रही है। सरकारी रेट 2015 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है। लेकिन इसमें 20 रुपये प्रति क्विंटल रख-रखाव के नाम पर कटौती की जाती है। ऐसे में किसानों को 1995 रुपये ही मिलता है। जबकि खुले बाजार में गेहूं की खरीद 2030 से 2050 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से हो रही है। इसकी वजह से सरकारी क्रय केंद्रों पर कम गेहूं आ रहे हैं।
2022-23 में बिक्री 111.32 मिलियन टन का अनुमान
फरवरी के मध्य में केंद्रीय कृषि मंत्रालय (Union Agriculture Ministry) ने 2021-22 की गेहूं की फसल (2022-23 बिक्री स्तर) का आकार 111.32 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया, जो पिछले वर्ष के 109.59 मिलियन टन के उच्च स्तर को भी पार कर गया। लेकिन मार्च की दूसरी छमाही से तापमान में अचानक वृद्धि ने पैदावार पर असर डाला है। अधिकांश गेहूं उगाने वाले क्षेत्रों में - मध्य प्रदेश को छोड़कर, जहां फसल मार्च के मध्य तक तैयार हो जाती है - किसानों ने प्रति एकड़ पैदावार में 15-20 फीसदी की गिरावट दर्ज की है।
ज्यादा निर्यात मांग और कम फसल के परिणामस्वरूप भारत के कई हिस्सों में खुले बाजार में गेहूं की कीमतें एमएसपी (government purchasing centers) को पार कर गई हैं। कीमतों के और बढ़ने की उम्मीद में केवल व्यापारी और मिल मालिक ही स्टॉक नहीं कर रहे हैं बल्कि कई किसान भी अपनी फसल रोक रहे हैं। किसानों द्वारा इस तरह की "जमाखोरी" हाल के दिनों में सोयाबीन और कपास में भी देखी गई थी, जो फिर से अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी से प्रेरित थी।