विकास दुबे एनकाउंटर केस: UP पुलिस को मिली क्लीन चिट, जानें कमेटी ने क्या कहा
8 महीने की जांच के बाद जांच कमेटी को कोई गवाह नहीं मिला, जिससे यह साबित हो सके कि एनकाउंटर पुलिस की साजिश और फर्जी था।
लखनऊ : कानपुर ( Kanpur) के बिकरू गांव को चर्चा में लाने वाले गैंगेस्टर विकास दुबे (Gangster Vikas Dubey) और उसके गैंग के साथियों के एनकाउंटर में जांच कमेटी ने उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) को राहत दी है। जांच की टीम ने न्यायिक जांच में पुलिस को क्लीन चिट देते हुए इस मुठभेड़ को भी सही माना है।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीएस चौहान और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शशिकांत अग्रवाल और पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता ने करीब आठ महीने की जांच के बाद सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
साक्ष्यों के आभाव में क्लीन चिट
8 महीने की जांच के बाद कमेटी को कोई गवाह नहीं मिला, जिससे यह साबित हो सके कि एनकाउंटर पुलिस की रची साजिश और फर्जी था। जांच के दौरान जस्टिस बीएस चौहान ने कई पुलिसकर्मियों से पूछताछ की, लेकिन एक भी पुख्ता सबूत नहीं मिले जिससे यह साबित हो सके एनकाउंटर फर्जी था। साक्ष्यों के आभाव में विकास दुबे एनकाउंटर मामले में पुलिस को क्लीन चिट दे दी गई है।
वारदात की पूरी घटना
बता दें कि विकास दुबे ने 2 जुलाई 2020 की रात को बिकरू गांव में पुलिस टीम पर हमला कर सीओ सहित 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर की दी थी। इसके बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की और भगोड़े विकास दुबे को दस जुलाई को कानपुर में एक एनकाउंटर में ढेर कर दिया। इससे पहले 9 जुलाई को विकास दुबे ने नाटकीय ढंग से उज्जैन के महाकाल मंदिर में सरेंडर कर दिया थी। इसके बाद उज्जैन से वापस लाते समय पुलिस की गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे पुलिस की पिस्टल लेकर भागा था, जिसके बाद पीछा करने पर उसने पुलिस पर फायरिंग की थी। पुलिस ने जवाबी फायरिंग की और विकास दुबे की मुठभेड़ में मौत हो गई थी। न्यायिक जांच में इस मुठभेड़ को भी सही माना गया है।