Bikroo Firing Case: गैंगस्टर विकास दुबे के भतीजे विपुल को कोर्ट ने किया दोषमुक्त, पर्याप्त साक्ष्य नहीं पेश कर पाई पुलिस
Bikroo Firing Case: विपुल पर आरोप था कि उसने तत्कालीन सजेती थानाध्यक्ष रावेंद्र कुमार मिश्रा पर अवैध तमंचा से कई राउंड फायरिंग कर जानलेवा हमला किया।
Bikroo Firing Case: चर्चित बिकरु कांड के एक आरोपी को अदालत से बड़ी राहत मिली है। गैंगस्टर विकास दुबे के भतीजे विपुल दुबे को गुरुवार को कानपुर देहात के एडीजे कोर्ट ने एक मामले में दोषमुक्त कर दिया है। मामला तत्कालीन सजेती थानाध्यक्ष पर जानलेवा हमला करने का है। पुलिस के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है। साथ ही जांच पर भी सवाल उठने लगे हैं।
दरअसल, विपुल पर आरोप था कि उसने तत्कालीन सजेती थानाध्यक्ष रावेंद्र कुमार मिश्रा पर अवैध तमंचा से कई राउंड फायरिंग कर जानलेवा हमला किया। पुलिस ने घटनास्थल से असलहे को भी बरामद किया था। इसके बावजूद वह कोर्ट में प्रमाणित नहीं कर सकी कि विपुल ने पुलिस पर गोली चलाई। पुलिस की जांच में लापरवाही का आलम ये था कि बरामद असलहे के परीक्षण के लिए लैब भी नहीं भेजा गया, जिससे ये प्रमाणित हो सकता था कि असलहा फायरिंग की स्थिति में है और उससे गोली चली थी।
इसके अलावा पुलिस ने दस्तावेजों में भी ओवरराइटिंग और कटिंग करके संदेह उत्पन्न कर दिया। बचाव पक्ष को इसका पूरा लाभ मिला। कोर्ट ने अपर्याप्त साक्ष्य का हवाला देते हुए आरोपी विपुल दुबे को जानलेवा हमले और शस्त्र अधिनियम दोनों में दोषमुक्त करार दे दिया।
तत्कालीन सजेती थानाध्यक्ष रावेंद्र कुमार मिश्रा की ओर से विपुल के खिलाफ 7 जनवरी 2021 को 307 और 3/25 का मामला दर्ज करवाया गया था। पुलिस ने 27 फरवरी 2021 को कोर्ट में आरोपपत्र पेश किया था। इसके बाद पुलिस की ओर से 6 सितंबर 2022 को साक्ष्य पेश किए गए। कोर्ट ने इनका अध्ययन कर माना कि आरोपी को दोषी ठहराने लायक पर्याप्त सबूत मौजूद नहीं हैं, इसलिए विपुल दुबे को दोषमुक्त कर दिया गया।
विपुल की लगी थी आईटीबीपी में नौकरी
कुख्यात गैंगस्टर और पुलिस एनकाउंटर में मारा गया विकास दुबे का भतीजा विपुल दुबे बिकरु का ही रहने वाला है। उसकी इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) में नौकरी लग गई थी और वह ज्वाइनिंग के लिए निकलने वाला था। तभी गांव में यह घटना हो गई। पुलिस ने उसके पिता अतुल दुबे को मुठभेड़ में मार गिराया था। वहीं, उसे मामले में आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में अभी भी सुनवाई कानपुर देहात माती कोर्ट में चल रही है।
बता दें कि दो जुलाई 2020 को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरु गांव में गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने पहुंची पुलिस टीम पर घातक हमला किया गया था, जिसमें सीओ समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था, वहीं अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली योगी सरकार को भी भारी फजीहत झेलनी पड़ी। विकास दुबे को एमपी के उज्जैन से गिरफ्तार किया गया था। वहां से यूपी लाते वक्त रास्ते में पुलिस एनकाउंटर में वह मारा गया।