बाराबंकी: गांवों में घुसे घाघरा के पानी ने सरकारी व्यवस्था की पोल खोल दी है। बाढ़ की इस विनाशलीला की जद में आये ग्रामीण खुले आसमान के नीचे रात काट कर मदद के लिए प्रशासन की तरफ टकटकी लगाए हैं। न भोजन है न दवा। मगर प्रशासन अब भी सारी सुविधाएं मुहय्या कराने का दावा कर रहे है।
छोड़ने पड़े घर
-स्थानीय बारिश और नेपाल से पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद घाघरा ने विकराल रूप ले लिया है।
-घाघरा का जलस्तर खतरे के निशान से 80 सेन्टीमीटर ऊपर पहुंच गया है।
-न तो पलायन कर रहे ग्रामीणों के भोजन की व्यवस्था की गई है, न उनके जानवरों के लिए चारे का कोई इंतजाम।
दावों की खुली पोल
-बाराबंकी जिला प्रशासन पहले से दावा कर रहा था कि बाढ़ से निपटने के सारे इंतज़ाम पूरे कर लिए गए हैं।
-लेकिन जैसे ही घाघरा का जलस्तर बढ़ा प्रशासन के दावों की पोल खुल गयी। जिलाधिकारी ने स्वीकार किया कि कुछ गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है।
-ग्रामीणों ने बताया कि बारिश से बचने के लिए प्लास्टिक का तिरपाल भी उन्होंने अपने पैसों से खरीदा है।
-बाढ़ से घिरे गांव में मोटर बोट तब दिखाई दी, जब गांव का एक बच्चा डूब कर मर गया।