इस विद्यालय में लड़कियों को बनाया जा रहा स्वावलंबी, दी जा रही शस्त्र-शास्त्र की शिक्षा
वाराणसीः शास्त्र और शस्त्र का समायोजन भारतीय संस्कृति में आदिकाल से रहा है, जिसमें भारतीय पुरुष फिर चाहे वो राजा का पुत्र हो या कोई आम बालक वो ऋषि मुनि के आश्रम में जाकर ही ये दोनों ज्ञान की प्राप्ति करते थे। इनमें से उस काल में कई महिलाएं भी थी जिन्होंने संस्कृति सीखते हुए शास्त्र और शस्त्र कौशल में निपुणता प्राप्त की। इसका उदहारण आप रानी लक्ष्मी बाई, विदुशा, गार्गी और कैकई से भी ले सकते हैं, लेकिन मध्यकाल में पुरुषों को तो इन दोनों को ज्ञान प्राप्त होता रहा पर स्त्रियां इससे वंचित होती गई।
अब एक बार फिर धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में नारी उत्थान के लिए शस्त्र-शास्त्र के माध्यम से ज्ञान दिया जा रहा है। जहां लडकियां शास्त्र में निपूर्ण हो रही है तो वहीं शस्त्र कला में महारथ हासिल कर रही है। इनके शस्त्र कौशल को देख लोग आश्चर्य चकित हो रहे है।
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पाड़िनि संस्कृत कन्या महाविद्यालय की आचार्य नंदिता शास्त्री ने बताया कि इस विद्यालय में लड़कियां कुछ साधारण मन्त्र बोलकर ही ये सब नहीं कर रही हैं बल्कि इन्हें वैदिक मंत्रों और कर्मकांड की पूरी जानकारी है। आज के परिवेश में ये एक ऐसा आश्रम हैं जिसके बारे में हम सिरियल में देखते हैं, जिसमें राजकुमार आश्रम में जाकर शास्त्र और शस्त्र विद्या ग्रहण करते है लेकिन काशी में 1971 से चल रहा ये विद्यालय आदिकाल के आश्रमों की तरह सिर्फ और सिर्फ लड़कियों को यहां शास्त्र और शस्त्र का ज्ञान दे रहा है।
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1971 मे इस गुरुकुल कि स्थापना की गई थी यहां कि वेदपाठी लड़कियां 16 संस्कार के साथ हर कर्मकांड को कराने में भी निपुण है। कर्मकांड के जरिए विवाह, कर्ण भेदन, उपनयन, श्मशान पर दाह संस्कार तक यहां कि लड़कियां कराती है। संस्कृत और योग भारत की पहचान है। ये बच्चियां गुरुकुल में मार्डन एजुकेशन (कंप्यूटर, अंग्रेजी, जुडो कराटे) के साथ वेद शास्त्र की शिक्षा लेती हैं। 125 से उपर लड़कियों को इस महाविद्यालय में शिक्षा दी जाती है।
रानी लक्ष्मी बाई, गार्गी और विदुषी को पूरा विश्व जानता है लेकिन जब आप यहां संस्कृत बोलने वाली इन छात्राओं का जब शस्त्र अभ्यास देखेंगे तो आपको रानी लक्ष्मी बाई की वही तश्वीर सामने आएगी जैसा की हम किताबों में पढ़ते आ रहे हैं। नारियों के आत्मरक्षा के लिए यहां वेद के साथ शस्त्रो की भी कुशल शिक्षा दी जाती है। यहां तलवार, लाठी और एयरगन की इन लड़कियों को रोज अभ्यास कराया जाता है। इन्हें पूरी सैन्य शक्ति और परेड के गुण सिखाए जाते हैं। इन लड़कियों में देशभक्ति का जज्बा भी डाला जाता है ताकि जरुरत पड़े तो ये अपने आत्मरक्षा के साथ देश की सेवा भी कर सके। शास्त्र और शस्त्र का ज्ञान ले रही ये लड़कियां काफी संतुष्ठ है। इनका कहना है कि नारी उत्थान तभी संभव है जब नारी शास्त्र और शस्त्र का ज्ञान दोनों एक साथ ले सके ।
आधुनिक शिक्षा नीति में हमारी भारतीय वैदिक संस्कृति की शिक्षा विलुप्त सी हो गई हैं, ऐसे में एक बार फिर से आदिकाल की शिक्षा लेते हुए नारी उत्थान के लिए खुला ये संस्कृत कन्या महाविद्यालय भारतीय वैदिक परंपरा के अनुसार शास्त्र और शस्त्र का ज्ञान समाहित कर के नारियों को स्वालंबी बना रहा हैं। अब महिलाएं भी कर्मकांड, ज्योतिष और आत्मरक्षा गुण वो भी भारतीय संस्कृति के अनुसार सीख कर अपने जीवन में उतार रही हैं। उससे नई शिक्षा नीति में इसे समाहित करना आवश्यक हैं। यहां भारतीय विज्ञान और भारतीय कला को एक नई पहचान तो मिलेगी ही साथ ही नारियों के लिए एक नया आयाम भी जुडेगा।
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