पढ़ने आईं थीं...बनकर रह गईं स्कूल की गुलाम, पढ़ने के बजाए लगा रहीं झाड़ू, काट रहीं घास
कहने को तो 15 अगस्त को देश आजाद हुआ था। मगर प्रदेश के कई हिस्सिओं में लडकियां अब भी 'आजाद' शब्द से महरूम हैं। संभल के कस्तूरबा
संभल: कहने को तो 15 अगस्त को देश आजाद हुआ था। मगर प्रदेश के कई हिस्सों में लडकियां अब भी 'आजाद' शब्द से महरूम हैं। संभल के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय छात्राओं से 15 अगस्त से एक शाम पहले पूरे स्कूल की सफाई करवाई गई। खास बात ये है कि ये सब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के सामने ही हुआ। मगर उन्होंने उनको एक बार भी नहीं रोका। पढ़ने के बजाए स्कूल में छात्राओं से झाड़ू लगवाया जा रहा है। अब ऐसे में उनका भविष्य क्या होगा? ये बड़ा सवाल है।
पढ़ने आई थी, बन गई गुलाम
- उन छात्राओं से झाड़ू के साथ साथ घास की कटाई और पेड़ों में पानी भी डलवाया जाता है।
- ऐसे में अगर इनको जहरीले कीड़े काट लें तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
स्कूल की अध्यापिका कुर्सी पर बैठकर ये तमाशा देख रही हैं।
अब सवाल ये उठता है कि क्या शिक्षा विभाग के पास इतना भी बजट नहीं है कि मजदूरों से काम कराया जाए ताकि ये लडकियां सुकून से पढ़ सकें? क्या ऐसे ही योगी सरकार में बच्चे झाडू लगाते रहेंगे ?